लंदन । दुनिया भर की तरह ब्रिटेन के लिए भी वर्ष 2020 कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया, लेकिन साल के अंत में मानवीय परीक्षणों के दौरान ‘‘सुरक्षित एवं प्रभावी’’ कोविड-19 टीकों ने उम्मीद की किरण दिखाई कि अगला साल लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य लेकर आएगा। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा, ‘‘सीरम इंस्टीट्यूट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बीच साझेदारी ब्रिटेन और भारत के संबंधों का प्रतीक है। एक ऐसा टीका, जो ब्रिटेन में विकसित किया गया और भारत में बनाया गया, जिसके लिए लोगों की जान बचाने की खातिर हमारे सबसे तेज दिमागों ने मिलकर काम किया।’’
ब्रेक्जिट के मद्देनजर राब की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम है। ऑक्सफोर्ड को टीकाकरण के लिए अभी नियामक की मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन ब्रिटेन में कोविड-19 से निपटने के लिए फाइजर/बॉयोएनटेक का टीका आठ दिसंबर से लगाना आरंभ हो गया। इसके साथ ही उत्तर-पूर्वी इंग्लैंड के भारतीय मूल के 87 वर्षीय डॉ हरि शुक्ला और उनकी 83 वर्षीय पत्नी रंजन दुनिया में भारतीय मूल के पहले दंपति बने, जिन्हें कोविड-19 का टीका दिया गया। इस टीकाकरण अभियान ने संकटग्रस्त रहे इस साल के समापन की शुरुआत का संकेत दिया। ब्रिटेन के भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने अवकाश योजना और कई अन्य सहायता योजनाएं लाकर कोविड-19 के दौरान अर्थव्यवस्था को लड़खड़ाने से रोकने में मदद की। सुनक ने दिवाली के मौके पर लंदन में अपने आवास 11, डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर रंगोली से सजावट की और दरवाजे पर चार दीप जलाए। यह पहली बार है जब डाउनिंग स्ट्रीट में दिवाली पर दीप जलाए गए।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के सामने ‘ब्रेक्जिट’ समझौते के रूप में इस साल पहले ही एक बड़ी चुनौती थी। कोरोना वारयस ने उनकी चुनौती और बढ़ा दी। जॉनजन अपनी सगाई की घोषणा के कुछ ही सप्ताह बाद कोविड-19 से संक्रमित हो गए और उन्हें आईसीयू में रहना पड़ा। वह अप्रैल में स्वस्थ हुए। महामारी की शुरुआत में प्रिंस चार्ल्स समेत कई हस्तियां संक्रमित पाए जाने के बाद पृथक-वास में रहीं। इस साल प्रिंस चार्ल्स के बेटे और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पोते प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेघन मर्केल ने अपने आप को शाही परिवार की जिम्मेदारियों से अलग कर लिया और यह दम्पत्ति अपने बेटे आर्ची के साथ अमेरिका में बस गया। इस बीच, प्रिंस विलियम्स भी संक्रमित पाए गए, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा बाद में किया। कई अध्ययनों में यह बात भी सामने आई कि कोरोना वायरस का भारतीयों समेत जातीय अल्पसंख्यकों पर विशेष रूप से प्रतिकूल असर पड़ा है।