नई दिल्ली । एक नए वैज्ञानिक पत्र के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से हुई असमय मौतों और बीमारियों के कारण 2019 में भारत में 2.6 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.4 प्रतिशत है। इस पत्र में यह भी कहा गया कि पिछले साल देश में 17 लाख मौतों की वजह वायु प्रदूषण थी। वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य व आर्थिक प्रभाव पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक पत्र के मुताबिक भारत में घरेलू वायु प्रदूषण में कमी आई है जिससे 1990 से 2019 के बीच इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में 64 प्रतिशक की गिरावट दर्ज की गई है जबकि इस दौरान बाहरी वायू प्रदूषण की वजह से होने वाली मृत्युदर में 115 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। इसके नतीजों में प्रकाश डाला गया कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और बीमारियों के कारण उत्पादकता में आई कमी से देश की जीडीपी को 1.4 प्रतिशत का नुकसान हुआ। वैज्ञानिक पत्र में कहा गया कि भारत का आर्थिक और विकास का पथ अच्छा है जिसमें वायु प्रदूषण में कमी लाकर और सुधार किया जा सकता है।
पत्र के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण आर्थिक नुकसान उत्तरी और मध्य भारत के राज्यों की जीडीपी में कहीं ज्यादा है, और उत्तर प्रदेश में यह सबसे ज्यादा और उसके बाद बिहार में है। नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल ने कहा कि वैज्ञानिक पत्र भारत में वायु प्रदूषण पर नवीनतम साक्ष्य प्रस्तुत करता है जो स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के आर्थिक प्रभाव को व्यक्त करता है। वायु प्रदूषण कम करने के लिये भारत ने कई अहम पहल की हैं। यह पत्र प्रवृत्तियों और प्रत्येक राज्य की मौजूदा स्थिति का मजबूत आकलन पेश करता है और इस बात पर प्रकाश डालता है कि प्रत्येक राज्य की विशिष्ट स्थिति के आधार पर मौजूदा वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों को बढ़ाना उपयोगी होगा। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और उन्नत चूल्हा अभियान जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं ने देश में घरेलू वायु प्रदूषण कम करने में मदद की है।

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