कांग्रेस में वर्तमान में चल रही गतिविधियों से ऐसा महसूस होता है कि अब जल्द ही कांग्रेस, नया अध्यक्ष कौन हो, इस पर लगा प्रश्न चिन्ह हटा देना चाहती है। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ हाल ही में हुई बैठक के बाद यह संकेत मिल गए हैं कि अब अध्यक्ष का चुनाव लंबे समय तक नहीं टाला जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही चुनाव कराकर चुने गए अध्यक्ष को भार सौंप दिया जाएगा। पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने अध्यक्ष पद के चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। चुनाव प्राधिकरण के एक सदस्य ने कहा कि संभवतः नए साल के पहले ही माह में नया अध्यक्ष मिल जाएगा। वैसे पहले सप्ताह में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित करने की तैयारी की जा रही है। बताया गया है कि चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कम से कम तीन सप्ताह का समय चाहिए। अध्यक्ष पद के चुनाव के नामांकन के लिए चार-पांच दिन का वक़्त होता है। इसके बाद नामांकन जांच और नाम वापसी के लिए वक़्त दिया जाएगा। यदि चुनाव की जरूरत हुई तो मतदान और उसके साथ मतगणना के लिए भी वक़्त चाहिए। सूत्रों के अनुसार सभी तैयारियां लगभग पूरी हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनाव कार्यक्रम पर मुहर के बाद कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा। पार्टी पहली बार अध्यक्ष पद के चुनाव में तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। अध्यक्ष पद चुनाव के लिए मतदान होता है तो इसके लिए डिजिटल तरीके से वोटिंग कराई जाएगी। साथ ही पहली बार एआईसीसी के सदस्यों को डिजिटल वोटर कार्ड भी जारी किए है। कार्ड में मतदाता से जुड़ी तमाम जानकारियां मौजूद होंगी। अब देखना है कि नया अध्यक्ष कब तक चुना जाएगा।
क्या नए वायरस के लिए वैक्सीन भी नई होगी
कोरोना वायरस की विदाई के पहले ही आ धमके इसके नए स्ट्रेन की खबर से लोगों की नींद उड़ गई है तथा दुनिया भर में दहशत और हड़कंप का माहौल बन गया है। जाने किस तरह तो कोरोना से लड़ाई लड़कर वैक्सीन के स्टेज पर पहुंच राहत की सांस लेने ही वाले थे कि इस नए अवतार ने फिर प्रश्न खड़ा कर दिया है कि आखिर यह लड़ाई कब तक चलेगी। पता चला है कि वास्तव में यह नया स्ट्रेन ब्रिटेन में सितंबर से फैलना शुरू हुआ है जो अब तेजी से आग पकड़ रहा है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये स्ट्रेन पुराने कोरोना वायरस से 70 फीसदी तेजी से फैल रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस पर वैक्सीन काम करेगी। ब्रिटिश सरकार के एडवाइजर पैट्रिक वैलेंस ने अपने बयान में कहा कि जो वैक्सीन तैयार हुई हैं, वो नए वायरस पर कारगर साबित हो सकती हैं। दुनिया में जिन वैक्सीन को मंजूरी मिली है, वो इतनी कारगर हैं कि नए वायरस स्ट्रेन के खिलाफ इम्युन सिस्टम मजबूत कर सकती हैं। लेकिन अगर ये स्ट्रेन बढ़ते जाएंगे और नए आते जाएंगे तो भविष्य में चिंता हो सकती है। अभी नया स्ट्रेन साउथ इंग्लैंड में मिला है, ऐसे में भारत को लेकर सतर्कता जरूरी है क्योंकि यूके में नई सख्ती के बाद लोग अपने यहां लौटना शुरू कर रहे हैं, लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि भारत में अब कोरोना काफी तेजी से नीचे जा रहा है। ऐसे में आगे को लेकर सतर्कता जरूरी है।
राम मंदिर हेतु फिर धनसंग्रह
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गतिविधियां तेज हो गई हैं। निर्माण की खबर घर घर पहुंचे और हर घर इससे संपर्क में आ पाएं इसके लिए एक धनसंग्रह अभियान चलाया गया है। इसके अंतर्गत 10, 100 और 1000 रुपए के कूपन के माध्यम से घर घर चंदा लेने का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। बड़ी राशि देने वालों को रसीद दी जा रही है। इस सामग्री पर निर्माणाधीन राममंदिर का चित्र प्रकाशित किया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के हवाले से बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने खाते से 11 लाख रुपये का चंदा दिया है। कथा वाचक मोरारी बापू ने 11 करोड़ रुपये का चंदा दिया है जबकि आईपीएस अफसर रहे किशोर कुणाल ने दो करोड़ रुपये का और शिवसेना मुम्बई ने एक करोड़ रुपये मंदिर के लिए बतौर सहयोग राशि भेजी है। उन्होंने बताया कि चंदे के लिए सरकार में बैठे लोग व्यक्तिगत तौर पर आगे आ सकते हैं, लेकिन सरकारी मदद किसी प्रकार से नहीं ली जाएगी।
अब कृष्ण जन्मभूमि को लेकर याचिका
अभी अयोध्या में राम जन्मभूमि का विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समाप्त हुआ ही है कि अब मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के मामले में हिंदू आर्मी की ओर से सिविल जज (प्रवर वर्ग) की अदालत में एक सप्ताह पहले दी गई याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई होनी है। इस याचिका पर पहले मंगलवार को ही सुनवाई होनी थी। स्वयं को हिंदू आर्मी का चीफ बताने वाले मनीष यादव ने खुद भगवान श्रीकृष्ण का वंशज बताते हुए अदालत में दावा पेश किया है। जिसमें उन्होंने 1967 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन को लेकर शाही ईदगाह के साथ हुए समझौते की डिक्री को रद्द कर ईदगाह को ध्वस्त करके उक्त जमीन कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को वापस करने की मांग की है।














