रांची । झारखंड समेत देश के अन्य माओवादी प्रभाव वाले इलाकों में दिसंबर 2021 तक पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) साल मनाया जाएगा। हर साल भाकपा माओवादी संगठन के द्वारा 2 दिसंबर से आठ दिसंबर तक पीएलजीए सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान सुरक्षाबल माओवादियों के निशाने पर होते हैं। लेकिन पीएलजीए गठन के 20 साल पूरे होने पर अब माओवादियों ने दिसंबर 2020 से दिसंबर 2021 तक पूरे साल पीएलजीए मनाने का फैसला लिया है। ऐसे में खुफिया एजेंसियां व पुलिस खास तौर पर अलर्ट हैं। माओवादियों के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के द्वारा इस बात का ऐलान किया गया है। साल 2021 के लिए माओवादियों ने लक्ष्य तय किए हैं। सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि गुरिल्ला वार में देश भर में तेजी लायी जाएगी। माओवादियों ने फैसला लिया है कि पीएलजीए के 20 वें साल में राजनीतिक, मिलिट्री व सांगठनिक प्रचार का काम किया जाएगा। वहीं प्रभाव वाले राज्यों में तय रणनीति के तहत टारगेट पूरा करने का काम किया जाएगा। संगठन में नए कैडरों को भी तय समय सीमा पर जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। साल 2020 में झारखंड पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ लगातार सफलताएं हासिल की हैं ,लेकिन झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन भाकपा माओवादी हर वर्ष अपने मृत साथियों के याद में 2 से 8 दिसंबर तक पीएलजीए सप्ताह मनाया करता है। इस बार एक साल तक पीएलजीए वर्ष मनाने का निर्णय कर माओवादियों ने पुलिस को बड़ी चुनौती दे दी है। पीएलजीए सप्ताह के दौरान ही राज्य पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को विशेष तौर पर अलर्ट किया था। साथ ही संभावित माओवादी हमले से बचने के लिए उपाय भी मुख्यालय ने बताए हैं। पीएलजीए वर्ष के दौरान सीपीआई माओवादी पोस्टर, बैनर लगाकर या काला झंडा फहरा कर पुलिस बलों को उत्तेजित कर सकते हैं। ऐसी सूचना पर मौके पर जाने वाली सुरक्षाबलों को आईइडी प्लांट कर या एंटी हैंडलिंग मैकेनिज्म की आईइडी के जरिए टारगेट किया जा सकता है। बेस कैंप के रास्तों में भी आईइडी प्लांट किए जाने की संभावना है। ऐसे में बेस कैंप से कभी भी वाहन से मूवमेंट न करने की हिदायत पहले ही मुख्यालय ने दी है। सुरक्षाबलों को कच्चे रोड, पगडंडी के रास्तों पर चलने से भी परहेज की सलाह दी गई है। पुलिस मुख्यालय ने पीएलजीए अलर्ट में जिलों के एसपी को बताया था कि माओवादियों की स्मॉल एक्शन टीम भी पुलिस बलों को मार कर हथियार लूटने की वारदात को अंजाम दे सकती है। ऐसे में बाजार या भीड़भाड़ वाले इलाके में न जाएं। माओवादी चाकू या दूसरे हथियार से ग्रामीणों के वेश में हमला कर सकते हैं।

Previous article दुनिया को पहला कोरोना वैक्सीन देने वालीं कैथरीन
Next article ओलंपिक समिति को टोक्यो ओलंपिक के भव्य आयोजन की उम्मीदें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here