नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी का शहरों पर ज्यादा असर हुआ है। लेकिन कोरोना संकट के बाद वृद्धि के लिहाज से इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इनका योगदान करीब 70 प्रतिशत है। यह बात एक अध्ययन में कही गई है। जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अध्ययन में कहा गया है कि हर एक मिनट में 25 से 30 लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं। डब्ल्यूईएफ ने अपने अध्ययन में कहा,अनुमान के अनुसार, भारत के जीडीपी का 70 प्रतिशत हिस्सा शहरों से आता है और हर एक मिनट में 25 से 30 लोग गांवों से शहरों की तरफ पलायन करते हैं। हालांकि, भारत के ज्यादातर बड़े शहरों में आर्थिक विषमता काफी ज्यादा है और झुग्गी झोपड़ी बस्तियों के बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्या में शहरी गरीब आबादी बढ़ी है। अध्ययन के अनुसार तमाम शहरी परिवारों का 35 प्रतिशत यानी करीब 2.5 करोड़ परिवार बाजार मूल्य पर मकान लेने की स्थिति में नहीं हैं। डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में शहरी चुनौतियां, महामारी के बाद और अधिक बढ़ गई हैं। यह रिपोर्ट महामारी से मिले सबक को शहरी सुधार के एजेंडे में बदलने के लिए दृष्टिकोण प्रदान करती है।
महामारी का प्रभाव विभिन्न आबादी वाले समूह पर गहरा और भिन्न रहा है। वंचित तबकों समेत कम आय वाले प्रवासी श्रमिकों को दोहरा झटका लगा। एक ओर उनकी आय प्रभावित हुई, जबकि दूसरी तरफ सामाजिक सुरक्षा का दायरा कमजोर हुआ। साथ ही देश के शहरी इलाकों में महामारी के कारण सार्वजनिक और निजी जीवन में स्त्री-पुरूष असमानता भी बढ़ी है। रिपोर्ट मुंबई स्थित आईडीएफसी संस्थान के साथ मिलकर तैयार की गई है। इसमें प्रमुख वैश्विक और भारतीय शहरी विशेषज्ञों के विचारों को शामिल किया गया है। ये विशेषज्ञ नियोजन, आवास, परिवहन, पर्यावरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों से जुड़े हैं। रिपार्ट में विभिन्न जानकारियों, आंकड़ों के महत्व को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि यह शहरों को संकट के दौरान आपात परिचालनों के प्रबंधन और उस बनाये रखने में मदद कर सकता है।
इसमें सिफारिशों के तहत कहा गया है कि पुराने शहरी नियोजन नियमन पर पुनर्विचार की जरूरत है जो शहरों को बेहतर, परिवहन अनुकूल और हरित बनाएगा। इसके अलावा, इसमें कम लागत में सस्ते मकान बनाने को लेकर आपूति संबंधी बाधाओं के समाधान का सुझाव दिया गया है। साथ ही श्रमिकों की गतिशीलता के लिये किराया मकान के बाजार को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की गयी है। इसके अलावा अध्ययन में परिवहन समाधान में निवेश करने और बेहतर पर्यावरण के लिये कार्यों को प्राथमिकता देने का भी सुझाव दिया गया है।
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