नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली से लगने वाली सीमाओं पर किसान आंदोलन के लिए डटे हुए हैं। सरकार के साथ उनकी कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन वे बेनतीजा रही है। आज फिर वार्ता होने वाली है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी और एक कमेटी का गठन भी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से अपने अलग होने पर भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान ने कहा है कि आंदोलन और किसानों के हितों को देखते हुए मैं समझता हूं कि उसमें (कमेटी) जाने का कोई तुक नहीं है। भूपिंदर सिंह मान ने कहा, ‘जब उन्होंने (किसानों ने) कह दिया है कि हम कमेटी के सामने नहीं जाने वाले हैं तो कमेटी का कोई तुक नहीं रह जाता इसलिए मैंने कमेटी को छोड़ा है। टिकरी बॉर्डर पर आज 51वें दिन भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सरकार के साथ हमारी पहले भी 8 बार बैठक हो चुकी है, जिसमें कोई हल नहीं निकला। किसानों को उम्मीद नहीं है कि इस बार भी बैठक में कुछ निकलेगा। कृषि कानूनों के खिलाफ में दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब 50 दिनों से किसानों का हल्लाबोल जारी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से समिति गठित करने के बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और वह अब भी प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। हालांकि, तीनों कृषि कानूनों पर जारी घमासान के बीच आज एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच बातचीत होगी। आज दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता होगी। हालांकि, किसान नेताओं को उम्मीद नहीं है कि इस बातचीत से कोई समाधान निकलेगा। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीद है कि चर्चा सकारात्मक होगी। कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार के साथ नौवें दौर की वार्ता में भाग लेंगे, लेकिन उन्हें इस बातचीत से ज्यादा उम्मीद नहीं है, क्योंकि वे विवादित कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर नहीं मानेंगे। चूंकि, कृषि कानूनों के मुद्दे पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है, ऐसे में शुक्रवार को केन्द्र सरकार और किसान संघों के बीच इस मुद्दे पर यह अंतिम बैठक हो सकती है।
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