नई दिल्ली। दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास हुए आईईडी धमाके के बाद से दुनिया की बेहद घातक खुफिया एजेंसियों में शुमार मोसाद एक बार फिर सक्रिय हो गई है। 13 दिसंबर 1949 को स्थापित हुई इजरायल की इस एजेंसी को बदले की भावना के लिए जाना जाता है। यह अपने दुश्मन से हिसाब बराबर करने के लिए कार बम, लेटर बम और मोबाइल बम से लेकर जहर की सूई तक का सहारा लेती है। यही वजह है कि इस मामले में भारत सरकार की जांच पर मोसाद की भी नजर है।हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस मामले की जांच में भारत मोसाद को शामिल करेगा या नहीं।
लेकिन इजरायली विदेश मंत्रालय ने इसे आतंकी वारदात करार दिया है।
इजरायल ने भी पुष्टि की है कि उसके अधिकारी भारत के साथ लगातार संपर्क में है। जानिए मोसाद के कुछ हैरतअंगेज कर देने वाले कारनामे दिल्ली में यहूदी दूतावास के पास साल 2012 में भी एक बम धमाका किया गया है। इसके बाद इजरायली एजेंसी ने कुछ दिनों की जांच के बाद पता लगा लिया कि इस हमले में ईरानी सेना का हाथ था। ईरान से मोसाद की दुश्मनी पुरानी है। साल 2012 में ईरान ने अपने परमाणु वैज्ञानिक मसूद अली मोहम्मदी की हत्या में दोषी पाए गए इजरायली जासूस को फांसी दे दी थी। मोसाद ने 1972 में हुए म्यूनिख ओलिंपिक में इजरायली टीम के 11 खिलाड़ियों के हत्यारों को कई देशों में ढूंढ-ढूंढकर मौत के घाट उतार दिया।
मोसाद की लिस्ट में 11 आतंकी थे, जो म्यूनिख में इजरायली खिलाड़ियों की हत्या के बाद अलग-अलग देशों में जाकर छिप गए थे
लेकिन मोसाद ने 20 साल के ऑपरेशन में सभी आतंकियों को खोजकर मार दिया। अपने दुश्मन देश ईरान की राजधानी तेहरान के वेयरहाउस में रात के अंधेरे में घुसकर परमाणु अभियान के राज से जुड़ी फाइलें चुराने का काम भी मोसाद कर चुका है। साल 2018 में मोसाद के इस खतरनाक मिशन का खुलासा हुआ था। मोसाद एजेंट्स अलार्म सिस्टम से छेड़छाड़ करके वेयरहाउस में घुसे थे। तकरीबन साढ़े 6 घंटे तक चलने वाले इस ऑपरेशन के दौरान मोसाद एजेंट्स टॉर्च की रोशनी के जरिए 50 हजार पन्ने और 163 सीडी लेकर निकले थे।
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