नई दिल्ली। बजट में घोषणा के बाद शिक्षा से जुड़े चार पुराने नियामकों को खत्म करने का रास्ता साफ हो गया है। इनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीस अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एआईसीटीई राष्ट्रीय शिक्षक अध्यापक परिषद एनसीटीई तथा नर्सिग काउंसिल शामिल हैं। दरअसल, लंबे समय से उच्च शिक्षा के लिए नया नियामक बनाने की मांग चल रही है। यूपीए शासन में भी इसके लिए उच्चा शिक्षा आयोग विधेयक तैयार हुआ था, लेकिन वह पारित नहीं हो सका।

एनडीए सरकार ने फिर इस दिशा में कवायद शुरू की है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में भी इस बात का जिक्र किया है और यह नई शिक्षा नीति का भी हिस्सा है। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि उच्च शिक्षा के विनियमन के लिए कानून बनाने की दिशा में कार्य आरंभ हो गया है तथा अगले सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। इसमें यूजीसी, एआईसीटीई तथा एनसीटीई को को खत्म कर दिया जाएगा। यूजीसी विवि, एनसीटीई तकनीकी शिक्षा और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा को विनियमित करता है। उच्च शिक्षा आयोग तीनों कार्य करेगा। इसी प्रकार नर्सिंग काउंसिल को भी खत्म कर दिया जाएगा।

नर्सिंग एवं मिडवाइफरी आयोग बनाया जाएगा

उसकी जगह पर नर्सिंग एवं मिडवाइफरी आयोग बनाया जाएगा। दरअसल, मेडिकल काउंसिल की भांति नर्सिंग काउंसिल भी नर्सिंग चिकित्सा शिक्षा को विनियमित करने में विफल रही है। इसलिए इस भंग कर नर्सिंग एवं मिडवाइफरी आयोग बनाया जाएगा। दरअसल, मौजूदा नर्सिंग काउंसिल के दायरे में मिडवाइफरी के कई कोर्स नहीं आते हैं। लेकिन नए आयोग में सभी प्रकार की नर्स और मिडवाइफरी कोर्स को विनियमित किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय इसके लिए नया विधेयक लेकर आएगा। बता दें कि सरकार पूर्व में मेडिकल काउंसिल को भंग कर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन कर चुकी है। चिकित्सा आयोग ने कार्य करना शुरू कर दिया है। इसलिए नर्सिंग शिक्षा और उच्च शिक्षा में भी इन कदमों को बड़े सुधारों के रूप में देखा जा रहा है।

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