दक्षिण अफ्रीकी चीतों से इस साल गुलजार हो जाएगा कूनो

भोपाल। वन्य प्राणियों में रुचि रखने वालों के लिए अच्छी खबर है। इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से सात चीते आ जाएंगे, इनमें चार मादा और तीन नर चीते शामिल हैं। तब तक कूनो प्रबंधन साढ़े चार सौ वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र से कांटेदार बबूल के पेड़ हटाने के साथ फेंसिंग लगाने जैसे काम करेगा। इस सबंध में भोपाल से वन विभाग के अवर सचिव का एक पत्र दो फरवरी को डीएफओ पीके वर्मा के पास आया है। उन्हें तैयारियां करने और भोपाल आकर चर्चा करने के लिए कहा गया है।

इंपावर कमेटी की सब कमेटी में शामिल

उल्लेखनीय है कि नवंबर 2020 में सेंट्रल इंपावर कमेटी की सब कमेटी में शामिल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वाय वी झाला की टीम ने कूनो पार्क का निरीक्षण किया था। पार्क को चीतों लिए सबसे अधिक मुफीद पाया था। टीम ने भोपाल और दिल्ली में रिपोर्ट दी थी।
भारत में कूनो-पालपुर नेशनल पार्क पहला पार्क होगा, जहां चीते आएंगे। इसकी मुख्य वजह यह पार्क चीतों के रहवास और भोजन के लिए पूरी तरह अनुकूल है। चीतों का पसंदीदा भोजन चिंकारा और काला हिरण होता है, जो यहां बहुतायत में पाए जाते हैं।

शिकार करने के लिए छोटे वन्यप्राणी

विशेषज्ञों के अनुसार चीता को शिकार करने के लिए छोटे वन्यप्राणी और लंबे खुले मैदान वाला क्षेत्र चाहिए। उन्हें छिपने के लिए घास की जरूरत होती है, जो यहां मौजूद हैं। इन्हें और बढ़ाया जाएगा। फिलहाल दुनिया में मौजूदा समय में सात हजार से ज्यादा चीते है। इनकी बड़ी संख्या अफ्रीकी देशों में ही पाई जाती है।
ढाई करोड़ रुपये बजट की है जरूरत
डीएफओ वर्मा के मुताबिक कूनो नेशनल को चीता के लिए पूरी तरह से तैयार करने के लिए लगभग ढाई करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें डेढ़ हजार वर्ग किलोमीटर एरिया में तार फेसिंग होगी। इसमें करीब 50 लाख रुपये खर्च आएगा। करीब दो करोड़ रुपये की राशि? कांटेदार बबूल के पेड़ हटाने, डाइकेचियम और मारबल घास लगाने में खर्च होगी। चूंकि सेंट्रल इंपावर कमेटी और भोपाल कूनो नेशनल पार्क में चीता लाने की सहमति बन गई है। इसलिए बजट की कमी आड़े नहीं आएगी।

1996 में अस्तित्व में आई थी कूनो वन्य जीव अभयारण्य

श्योपुर में 1981 में कूनो वन्यजीव अभयारण्य के रूप में सेंचुरी अस्तित्व में आया। तब इसका एरिया 344.686 वर्ग किलो मीटर था। सितंबर 2016 में मप्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा, जिसमें कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा दिए जाने की मांग की गई थी । 2018 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला।
इसमें 404.0758 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल जुड़ गया। अब इसका क्षेत्रफल 748.7618 वर्ग किलोमीटर हो गया है। कूनो डीएफओ पीके वर्मा के मुताबिक देश में अभी एक भी चीता नहीं हैं। 1948 में सरगुजा के जंगल में आखिरी बार चीता देखा गया था। केंद्र सरकार इस प्रजाति की पुनस्र्थापना की कोशिशों में लगी थी। वर्ष 2010 में केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार से चीतों के लिए अभयारण्य तैयार करने को कहा था।

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