नई दिल्ली। कश्मीर से विस्थापित पडरौना निवासी दो भाइयों व उनके सभी परिवारीजनों को केन्द्र सरकार ने गृहराज्य की नागरिकता दे दी है। 72 साल बाद अपने गृहराज्य की नागरिकता मिलने से कश्मीरी पंडित परिवार गदगद है। पडरौना शहर में ओंकार वाटिका कॉलोनी निवासी सज्जन कुमार रैना व मनोज रैना के पिता अमरनाथ रैना (अब स्वर्गीय) 1951 में कश्मीर छोड़ कर पडरौना आए थे।

पाकिस्तान की मदद से कबायलियों ने हमला कर दिया

वहां श्रीनगर के हब्बा कदल रोड गनपतियार में उनका पांच हजार स्क्वॉयर फीट में मकान आज भी मौजूद है। तब कश्मीर में पाकिस्तान की मदद से कबायलियों ने हमला कर दिया था। हमलावर कश्मीरी पंडित परिवारों को धमका कर घर छोड़ने पर मजबूर कर रहे थे। रैना परिवार भी अपना सबकुछ छोड़ कर पडरौना आ गया। यहां अमरनाथ रैना चीनी मिल में चीफ केमिस्ट के पद पर तैनात हुए और बाद में दवा का कारोबार शुरू किया। उनके दोनों बेटे अब अलग-अलग दवा की दुकान करते हैं। दोनों का परिवार एक साथ रहता है।

पुश्तैनी मकान भला किसे नहीं चाहिए

हम लोग तो यहीं अपना घर मान चुके थे मगर अब प्रधानमंत्री ने दबी हुई उम्मीदों को परवान चढ़ा दिया है। इसलिए तय किया है कि एक भाई अब यहां रहेगा, जबकि दूसरा वहां जाएंगा। पुश्तैनी मकान भला किसे नहीं चाहिए होता है। मकान मिल जाए तो हमारा भी एक घर वहां और दूसरा पडरौना में रहेगा। दोनों जगह आना-जाना रहेगा। मकान व बाग दोनों पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है। मकान में दूसरे का परिवार रहता है जबकि पांच एकड़ के बाग में अब भी सेब, अखरोट व बादाम की खेती होती है। यह उनके बाबा ने वहीं के एक सुल्तान नामक व्यक्ति को बटाई पर खेती के लिए दी थी। जब तक वह जिंदा रहा, उनका हिस्सा आता रहा मगर उनकी मौत के बाद जबसे उसके बेटों ने खेती संभाली, उन्होंने हिस्सा देना बंद कर दिया।

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