नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के दौरान कथिततौर पर खुलेआम पिस्तौल लहराने व एक पुलिसकर्मी पर पिस्तौल तानने के आरोपी शाहरुख पठान को अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप हैं उसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता। कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने आरोपी शाहरुख पठान की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी का आचरण जमानत देने लायक नहीं है। यह तीसरा मौका है जब आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया जा रहा है। वहीं, पठान के वकील ने अपने मुवक्किल के पक्ष में दलील पेश करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनके मुवक्किल पर पूरे दंगे का आरोप मढ़ दिया है। पुलिस के मुताबिक पठान पोस्टर बॉय है जोकि दंगों का नेतृत्व कर रहा था। जबकि वास्तविकता में उनका मुवक्किल एक समुदाय विशेष का वह डरा हुआ शख्स है जो बेहद डरा हुआ था और इसी डर से फरार हुआ था। दूसरी सरकारी वकील का कहना था कि शाहरुख पठान घटन के बाद फरार हो गया था। उसकी गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश के शामली से हुई थी। अगर उसे जमानत पर छोड़ा जाता है तो वह फिर से मुकदमे की सुनवाई से भाग सकता है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को जमानत ना देने का निर्णय किया है। पेश मामले में शाहरुख पठान पर आरोप है कि उसने 24 फरवरी 2020 को जाफराबाद इलाके में खुलेआम पिस्तौल लहराई, हवा में गोली चलाई। इतना ही नहीं उसने एक ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी पर पिस्तौल भी तान दी। पुलिस ने इस मामले में शाहरुख पठान के खिलाफ कई मीडिया चैनलों से वीडियो फुटेज ली है जिसमें वह पिस्तौल लहराते व गोली चलाते साफ दिख रहा है। साथ ही पुलिस ने इन फुटेज को पठान के खिलाफ अहम सबूत बनाया है। पुलिस ने पठान की मदद करने वाले दो लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ अदालत में आरोपपत्र भी दाखिल किया है।

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