लंदन। ताजा स्टडी के मुताबिक मंगल ग्रह पर भाप मिली है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी और रूस के रोसोकोसोमास्क की मदद से वायुमंडल से गुजरने वाली लाइट के आधार पर ये खोज की गई है। खोज की मदद से मंगल की वॉटर साइकल के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकती है, वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिल सकती है कि मंगल पर जीवन था या नहीं। वैज्ञानिकों ने नादिर एंड ऑक्युलेशन फॉर मार्स ऑब्जर्वेटरी की मदद से भाप और ‘सेमी-हेवी’ वॉटर को स्टडी किया है।
वैज्ञानिकों को मंगल पर पानी के इतिहास के बारे
हाइड्रोजन क्लोराइड गैस के उठने की वजह से वैज्ञानिकों को मंगल पर पानी के इतिहास के बारे में पता चल सकता है। मंगल पर कई सूखी हुई घाटियां और नदियों के रास्ते हैं जो इस बात के संकेत देते हैं कि कभी यहां पानी रहा होगा। इसमें से ज्यादातर अब बर्फीली सतह के नीचे है।
नादिर एंड ऑक्युलेशन फॉर मार्स ऑब्जर्वेटरी के को-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ.मनीष पटेल के मुताबिक एनओएमएडी मंगल पर पानी के उद्भव की समझ बढ़ सकती है।
इनसे पता चलता है कि कैसे और कब पानी
इसकी मदद से पानी के अलग-अलग आइसोटोप खोजे गए हैं। इनसे पता चलता है कि कैसे और कब पानी खत्म हुआ और इससे वहां जीवन लायक स्थितियों में कैसे बदलाव हुआ। इसके अलावा मंगल पर मैग्मा में होने वाले बदलाव के बारे में भी जानकारी बढ़ेगी। दिलचस्प बात यह है कि इसी महीने चीन, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के रोवर मंगल पर पहुंचने वाले वाले हैं।
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