नई दिल्ली। असम में रोचक चुनावी जंग की जमीन तैयार हो गई है। भाजपा और कांग्रेस की अगुवाई में बने गठबंधनों का दिलचस्प मुकाबला यहां देखने को मिल सकता है। दोनों तरफ स्थानीय समीकरणों का दबाव ऐसा है कि ये दल अपने मुद्दों और रणनीति को यहां अलग आकार देने को मजबूर हैं। देश में सीएए को मुद्दा बनाने वाली भाजपा यहां मुद्दा और चेहरा दोनों को लेकर भ्रम की स्थिति में है। पार्टी यहां सीएए से किनारा करती नजर आ रही है। वहीं सर्बानंद सोनोवाल का चेहरा आगे करके चुनाव लड़ने पर हेमंत विश्व शर्मा समर्थकों का दबाव और दिलीप सैकिया का बढ़ता कद भारी पड़ता नजर रहा है। दूसरी तरफ पिछले कुछ समय से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह तलाश रही कांग्रेस यहां बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के साथ खड़ी है। इस बहाने भाजपा एक बार फिर कांग्रेस पर मुस्लिम परस्त सियासत का आरोप मढ़ रही है। कांग्रेस में किसी चेहरे को लेकर भी सर्वानुमति नहीं है। जानकारों का कहना है कि इस बार असम के चुनाव में काफी दिलचस्प समीकरण देखने को मिल सकते हैं। जानकारों का कहना है कि एक बार चुनाव घोषित होने के बाद ही स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी। लेकिन एकतरफा लड़ाई नहीं है। नेताओं की महत्वाकांक्षा और भावनात्मक मुद्दों के मकड़जाल में हर दल उलझा हुआ है।

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