नई दिल्ली। कोरोना महामारी में केंद्र सरकार की मदद और योगी सरकार के कुशल प्रबंधन के चलते न केवल यूपी लौटे श्रमिकों-गरीबों को मुफ्त में अनाज वितरण की व्यवस्था की गई बल्कि चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ईरान, यूके, इटली और सऊदी अरब जैसे देशों के करोड़ों लोगों की भूख शांत करने में भी यूपी अन्य बहुत से राज्यों से आगे रहा। राज्य ने पहले से कई गुना गेहूं, चावल, दाल, खाद्य तेल, मीट, चीनी, खांड़, दुग्ध उत्पाद, तंबाकू उत्पाद, फार्मास्युटिकल जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुएं विदेशों को भेजीं। खाद्य-पदार्थ, दवा, तंबाकू जैसी वस्तुओं का निर्यात ग्राफ कोरोना कालखंड में तेजी से बढ़ा है। 10 माह के तुलनात्मक आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना काल में गेहूं साढ़े पांच गुना, दाल दो गुने से अधिक, वनस्पति तेल डेढ़ गुना, अन्य अनाज डेढ़ गुना, प्रोसेस्ड मीट साढ़े चार गुना अधिक निर्यात किया गया। यह आंकड़े अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच के हैं। अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच की अवधि कोरोना महामारी के लिहाज से सबसे अधिक भयावह रहा। विश्व के अधिकांश देश लॉकडाउन और तमाम प्रतिबंधों के दौर से गुजर रहे थे। कारोबार ठप से पड़े थे। निर्यात पर भी प्रतिकूल असर पड़ा था। इस दौर में उत्तर प्रदेश का निर्यात बहुत प्रभावित नहीं हुआ। अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 की अवधि के मुकाबले अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच की अवधि में यूपी के निर्यात में महज 4.75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इस अवधि में कुल निर्यात में 8.67 फीसदी की कमी आई। इसी अवधि में बड़े निर्यातक राज्यों में गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, राजस्थान और मध्य प्रदेश को छोड़ दें तो यूपी की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले निर्यात में बेहतर रही है। महाराष्ट्र में 13.64 फीसदी, तमिलनाडु में 14.60, कर्नाटक 11.41, पश्चिम बंगाल 11.00, केरल 62.92, बिहार 14.07, जम्मू-कश्मीर 17.58 और दिल्ली के कुल निर्यात में 25.12 में गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश की इस बेहतर स्थिति के लिए राज्य सरकार ने दूतावासों के माध्यम से लगातार विदेशों से संपर्क रखा। सरकार द्वारा निर्यात में दी गई सुविधाओं का लाभ निर्यात बढ़ाने में हुआ। अनुमान है कि 31 मार्च 2021 तक राज्य का कुल निर्यात पिछले वित्तीय वर्ष के बराबर यानी 1.20 लाख करोड़ पहुंच जाएगा।