नई दिल्ली। देश में रबी की बंपर आवक से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों क्षेत्रों में आलू के दाम 50 प्रतिशत घटकर 5-6 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए हैं। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। हालांकि, इस वजह से उपभोक्ताओं को रसोई की यह महत्वपूर्ण सब्जी काफी कम दाम पर उपलब्ध है, लेकिन आलू के किसानों के लिए उत्पादन की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार के 60 प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों में से 25 में इसके थोक दाम 20 मार्च को एक साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत नीचे आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश के संभल और गुजरात के दीशा में आलू का दाम तीन साल के औसत दाम से नीचे यानी छह रुपये प्रति किलो चल रहा है।
एक साल पहले इसी अवधि में उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आलू के दाम 8-9 रुपये प्रति किलोग्राम के निचले स्तर पर थे। वहीं अन्य राज्यों में इसके दाम 10 रुपये प्रति किलोग्राम तथा थोक मंडियों में 23 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रहे थे। इसी तरह उपभोक्ता क्षेत्रों में 20 मार्च को आलू का थोक भाव एक साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत कम था। दिल्ली सहित 16 में से 12 उपभोक्ता क्षेत्रों में आलू का दाम 50 प्रतिशत नीचे चल रहा था। उदाहरण के लिए 20 मार्च को पंजाब के अमृतसर और दिल्ली में आलू का दाम पांच रुपये प्रति किलोग्राम के निचले स्तर पर था। इसका अधिकतम दाम चेन्नई में 17 रुपये प्रति किलोग्राम पर था। कुछ यही रुख खुदरा बाजारों में भी दिख रहा था।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 20 मार्च को आलू का मॉडल खुदरा दाम 10 रुपये प्रति किलोग्राम के निचले स्तर पर था। एक साल पहले यह 20 रुपये प्रति किलोग्राम था। उदाहरण के लिए 20 मार्च को दिल्ली में आलू का खुदरा भाव 15 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो एक साल पहले 30 रुपये प्रति किलोग्राम था। उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा, ‘हम उपभोक्ता पक्ष की ओर से कीमतों की निगरानी करते हैं। इस साल आलू की फसल काफी अच्छी हुई है। मंडियों में आवक अच्छी है और खुदरा मूल्य उपभोक्ताओं के लिहाज से अच्छा है।’ किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिलने के बारे में सचिव ने कहा कि इस मुद्दे को कृषि मंत्रालय देख रहा है। संभवत: मंत्रालय इस बारे में किसी प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

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