नई दिल्ली। कोरोना महामारी से छुटकारे के लिए वैक्सीन लगाने का अभियान चल रहा है। वैक्सीन को लगाने में इस्तेमाल होने वाली सीरिंज की बढ़ती मांग की आपूर्ति में भारत की फार्मा इंडस्ट्री दुनिया में सबसे अग्रणी है। यहां दवा उत्पादन ही नहीं बल्कि इलाज संबंधी उपकरणों का निर्माण भी भारत के फार्मा उद्योग की जान है। टीके और इंजेक्शन देने के लिए ज़रूरी उपकरण सीरिंज का सबसे बड़ा उत्पादन दुनिया में जो कंपनियां करती हैं, उनमें एक भारत की है, जो इन दिनों कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की कामयाबी के लिए अपनी क्षमता से बढ़कर काम कर रही है। सिर्फ देश ही नहीं, दुनिया की ज़रूरत के लिए आपूर्ति करने में जुटी है। भारत में सीरिंज की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी हिंदुस्तान सीरिंज एवं मेडिकल डिवाइसेज़ (एचएमडी) इन दिनों बेहद व्यस्त है क्योंकि दुनिया भर के लिए सीरिंज की डिमांड पूरी करना उसने अपना लक्ष्य बना लिया है। लेकिन, यह संभव नहीं है। कंपनी के प्रमुख राजीव नाथ का कहना है कि वो रोज़ाना करीब 40 ऐसे ईमेल या प्रस्ताव ठुकरा रहे हैं, जिनमें उनसे सीरिंज सप्लाई किए जाने की गुज़ारिश की जा रही है।
भारत की यह कंपनी एक दिन में करीब 40 लाख सीरिंज का उत्पादन कर रही है लेकिन नाथ के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इतना उत्पादन काफी नहीं है क्योंकि दुनिया भर में सिर्फ 60 फीसदी आबादी को वैक्सीन दिए जाने के लिए ही 10 अरब सीरिंजों की ज़रूरत पेश आने वाली है। असल में, यह कंपनी इसलिए चर्चा में आ गई है क्योंकि दुनिया भर में वैक्सीन इंजेक्ट किए जाने के कार्यक्रम के गति पकड़ते ही सीरिंजों की कमी समस्या बनती दिख रही है। इससे पहले, सितंबर 2020 में यह कंपनी तब चर्चा में आई थी, जब यूनिसेफ ने इस कंपनी से 14 करोड़ सीरिंज एडवांस बुक करवाई थीं। अब वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद सीरिंज बनाने वाली बड़ी कंपनियों की तरफ तमाम देश देख रहे हैं। चूंकि एचएमडी इस सेक्टर की एक बड़ी कंपनी है इसलिए इससे उम्मीदें बढ़ी हैं। इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के साथ करार होने से भी ग्लोबल सप्लाई के लिए यह कंपनी अहम हो गई है। नाथ की मानें तो उनकी कंपनी हर साल करीब 2.5 अरब सीरिंजों का उत्पादन करती है, लेकिन टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान बढ़ी हुइ मांग के मुताबिक कंपनी ने अपनी क्षमता बढ़ाकर 2.7 अरब सीरिंज तक उत्पादन करने की ठानी है। कंपनी ने इस बड़े लक्ष्य के लिए 500 से 1000 ज़्यादा लोगों को हायर किया है और उन्हें ट्रेनिंग देकर उत्पादन के काम में जोड़ा है। हालांकि कंपनी का दावा है कि क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जा रहा है।














