नई दिल्ली। सरकारी अस्पतालों में जारी वीआईपी कल्चर से तंग एम्स भुवनेश्वर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। डॉक्टरों ने पीएम से निवेदन किया है कि एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में नौकरशाहों, नेताओं और राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को इलाज में मिलने वाली तरजीह को खत्म किया जाए। एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों के एसोसिएशन ने पीएम को भेजी इस चिट्ठी में लिखा है कि अस्पतालों में सभी लाइफ सपोर्ट आईसीयू सेवाओं को वीआईपी, राजनेताओं और उनके पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षित किया जा रहा है। इनमें से कई लोगों को इसकी जरूरत नहीं है और सिर्फ आइसोलेशन में रखकर ही उनका इलाज हो सकता है।
चिट्ठी में डॉक्टरों ने बताया है कि अस्पताल में वीआईपी काउंटर खोले जाने की बातें हो रही हैं। इतना ही नहीं ऐसे भी कई मामले आए हैं जिनमें कई राजनेताओं ने डॉक्टरों की ड्यूटी खत्म होने के बाद उन्हें अपने घर बुलाया है। डॉक्टरों का कहना है कि इन वजहों से डॉक्टरों की मानसिक पीड़ा बढ़ती है और कार्यस्थल पर उनकी क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है। चिट्ठी में कहा गया कि महामारी की शुरुआत से ही डॉक्टर सबसे आगे खड़े हैं और अपना जीवन जोखिम में डाले हुए हैं। लेकिन जब वह या उनके परिवार का सदस्य कोविड संक्रमित हो जाता है तो उन्हें बदले में लंबी कतारें और आईसीयू में पहले से भरे बेड मिलते हैं। उनका कहना है कि अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए अलग से कोई काउंटर नहीं है न तो रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए कोई बेड ही आरक्षित है। मेडिकल सुप्रीनटेंडेंट ने इस मामले का कभी संज्ञान ही नहीं लिया है। अस्पतालों में वीआईपी कल्चर और नेताओं, अफसरों को विशेष सुविधाएं दिए जाने का विरोध करते हुए डॉक्टरों ने कहा कि यह फ्रंटलाइन वर्कर्स का अपमान है।

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