नई दिल्ली। जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसर्चर ने बैटरी लाइफ को बढ़ाने का एक तरीका खोज निकाला है। यह सभी स्मार्टफोन यूजर्स की ज्यादा बैटरी खपत की समस्या को दूर कर देगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह परेशानी ज्यादातर लिथियम आयन बैटरी के डिजाइन के साथ है क्योंकि स्मार्टफोन्स में मौजूद ये बैटरियों समय के साथ डिग्रेड हो जाती हैं। जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जेएआईएसटी) के रिसर्चर्स इन बैटरियों को ज्यादा क्षमता देने के तरीके की खोज कर रहे हैं। प्रोफेसर नोरियोशी मात्सुमी के नेतृत्व में रिसर्चर्स ने एसीएस एप्लाइड एनर्जी मैटेरियल्स जर्नल में अपनी लेटेस्ट फाइंडिंग्स प्रकाशित की हैं जो यूरेकाएलर्ट द्वारा रिपोर्ट किया गया था। उनका कहना है कि बैटरी में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए गए ग्रेफाइट एनोड्स, मिनिरल को एक साथ रखने के लिए बाइंडर की जरुरत होती है लेकिन जो पॉली (विनाइडीन फ्लोराइड) बाइंडर इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें कई कमियां हैं जो कि एक सही बाइंडिंग मैटेरियल के रूप में सामने नहीं आ पा रही है। रिसर्चर्स अब एक नए तरह के बाइंडर पर काम कर रहे हैं जो बीपी कोपोलीमर से बना होगा। यह उस परेशानी को सही कर पाएगा जिसके जरिए स्मार्टफोन की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि उनकी रिसर्च में दूरगामी परिणाम हो सकते हैं क्योंकि ज्यादा विश्वसनीय बैक-अप सिस्टम यूजर्स को इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे महंगे एस्सेट्स में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। प्रमुख रिसर्चर ने बताया कि जहां एक हाफ-सेल के कन्वेंशनल पीवीडीएफ बाइंडर ने 500 चार्ज-डिस्चार्ज साइकल्स के बाद अपनी ओरिजनल कैपेसिटी का केवल 64 फीसद की काम किया। वहीं, बीपी कोपॉलीमर का इस्तेमाल कर रहे हाफ-सेल ने 1700 चार्ज-डिस्चार्ज साइकल्स के साथ 95 फीसद क्षमता ही दिखाई। उन्होंने यह भी कहा कि ड्यूरेबल बैटरीज, आर्टिफिशियल ऑर्गेन्स पर भरोसा करने वालों की मदद करेंगी।