नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश भर में कोहकाम मचा दिया है, अस्पतालों और श्मशानों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। ऐसे में लोग आगे आकर एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पीड़ितों की मजबूरी का फायद उठआकर अपनी जेबें भरते हैं। दिल्ली के एम्स से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें एक महिला नर्स बनकर मरीजों को बेड दिलाने के लिए पैसा लेती थी। सीएमओ ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ड कराई। सोमवार को पुष्टि हो जाने के बाद पुलिस ने महिला को अरेस्ट कर लिया और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। इसके अलावा मामले की जांच अभी चल रही है। पुलिस ने कहा, पहली नजर में ऐसा लगता है कि महिला अकेले ही काम कर रही थी। महिला एक जाली एम्स पहचान पत्र का इस्तेमाल करती थी। पुलिस ने कहा कि सीएमओ ने 2 मई को केंद्रीय जिला पुलिस मं शिकायत दर्ज कराई थी। “एम्स की नर्स गंभीर रोगियों को भर्ती करा रही थी। सीएमओ, गुरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि, 2 मई की रात को, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने 66 वर्षीय कोविड -19 मरीज को अस्पताल के अंदर भर्ती कराया।“महिला नियमित रूप से अस्पताल का दौरा कर रही थी और उसने खुद को पूर्ण पीपीई किट में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में पेश किया। नाम न बताने की शर्त पर अस्पताल में काम करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, उसने अपने पहचान पत्र में और हमारे जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के सामने को हीना बताया। हमारे अधिकारियों ने उसके व्यवहार को संदिग्ध पाया, और पुलिस को मामले की सूचना दी। पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया। वह गंभीर रोगियों को भर्ती करने के लिए पैसे ले रही थी। हमारे सीएमओ को शक था कि वह काफी समय से इस रैकेट को चला रही थी और इसलिए पुलिस में शिकायत दर्ज की। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा,दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने महिला को हिरासत में ले लिया, और उसकी पहचान बाद में उत्तराखंड निवासी गीता सरोजा के रूप में सामने आई। पुलिस को उस के पास दो जाली पहचान पत्र मिले, दोनों उसकी पहचान हीना के रूप में, एक एम्स की नर्स और दूसरी एक एनजीओ कार्यकर्ता के रूप में करते हैं।एक जांच अधिकारी ने कहा, “वह गंभीर रोगियों से पैसे ले रही थी जो अस्पताल के बाहर कतार में थे। अब तक, ऐसा लगता है कि वह अकेले काम कर रही थी। लेकिन हम अभी भी उसके संपर्क की जांच कर रहे हैं।