नई दिल्ली। दो दर्जन से ज्यादा एंड्रॉयड ऐप जिनके 100 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं, उन्हें साइबर सिक्योरिटी फर्म द्वारा निजी डाटा चोरी करने के लिए चिन्हित किया गया है। इन ऐप्स के डेवलपर जिन थर्ड पार्टी क्लाउड सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह डाटा स्टोर करने के लिए सुरक्षित नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक एस्ट्रोलॉजी, टैक्सी, स्क्रीन रिकॉर्डिंग और फैक्स मोबाइल ऐप यूजर्स के डाटा को सुरक्षित नहीं रख पा रही हैं। इसके अलावा कई ऐसी एंड्रॉयड ऐप्स थीं, जिन्हें 10 हजार से लेकर 10 मिलियन तक इंस्टॉलेशन हालिस हुए है, उनके रीयल-टाइम डाटाबेस से संवेदनशील डाटा सार्वजनिक हुआ था। इस निजी डाटा में ईमेल, चैट मैसेज, पासवर्ड, फोटो और अन्य सामग्री शामिल थीं। इसके अलावा कई एंड्रॉयड ऐप में पुश नोटिफिकेशन और क्लाउड स्टोरेज की भी मौजूद थीं। आपको बता दें कि रियल टाइम डाटाबेस वह है जो डिस्क पर स्टोर होने वाले डाटा के बजाय लाइव रहता है और लगातार बदलता रहता है। ऐप डेवलपर्स क्लाउड पर डाटा सेव करने के लिए रीयल-टाइम डाटाबेस पर निर्भर होते हैं। अगर कोई साइबर क्रिमनल सीपीआर द्वारा निकाले गए सेंसिटिव डाटा पर एक्सेस हासिल करता है तो यह साफ तौर पर धोखाधड़ी, पहचान-चोरी और सर्विस स्वाइप की वजह बन सकती है।
यह बात सभी जानते हैं कि मोबाइल ऐप आज के समय में हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं। यह सिर्फ ऐप्स नहीं हैं और इन्हें सुरक्षित होने की जरूरत है। इसके अलावा डेवलपर्स को उन सर्विस से संबंधित सिक्योरिटी की बातों पर ध्यान देना होगा जो मोबाइल ऐप का हिस्सा हैं। इनमें क्लाउड बेस्ड स्टोरेज, रीयल-टाइम डाटाबेस, एनालिटिक्स और नोटिफिकेशन मैनेजमेंट शामिल है। थर्ड पार्टी की क्लाउड-सर्विस को ऐप्स में कॉन्फिगर और इंटीग्रेटेड करते हुए अच्छे तरह से काम न करने पर लाखों यूजर्स का निजी डाटा एक्सपोज हुआ है। रीयल टाइम डाटाबेस का यह कॉन्फिगरेशन नया नहीं है बल्कि यह पहले से होता आ रहा है। मगर आश्चर्य की बात यह है कि यह अभी भी काफी फैला हुआ है और काफी बड़ा है।