वाशिंगटन। हालिया शोध में दो वैज्ञानिकों ने बताया है कि अंतरिक्ष में वार्महोल के जरिए यात्रा संभव है। वार्महोल की धारणा दो ब्रह्माण्ड के बीच सेतु के तौर पर पहली बार अल्बर्ट आइंस्टीन ने नाथन रोजन के साथ 1935 में दी थी। सैद्धांतिक तौर पर उन्होंने खोजा था कि ब्लैकहोल की सतह अंतरिक्ष के दूसरे हिस्से के बीच सेतु की तरह काम कर सकता है। तभी से अंतरिक्ष में इनके जरिए यात्राओं की कल्पनाएं की जा रही हैं। लेकिन इस विचार में दो चुनौतियां हैं, इन ट्यूब की कमजोरी और उनका बहुत ही ज्यादा पतला होना।
वार्महोल की धारणा काफी पहले ही आ चुकी है लेकिन इसके अस्तित्व के अभी तक कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके होने की संभावना के पीछे सबसे ठोस तर्क यही है कि ब्लैकहोल के बारे में भी पहले ऐसा ही समझा जाता था, लेकिन अंततः उनका अस्तित्व सिद्ध हो गया। भौतिकविदों ने सिद्ध किया कि बहुत ही सिकुड़ा हुआ पदार्थ स्पेसटाइम को विकृत कर ब्लैक होल बना सकता है। यही बात आइंस्टीन द्वारा सबसे पहले सुझाए गए वार्महोल के बारे में भी सोची जा रही है कि वे वास्तव में हो सकते हैं और एक दिन उनका अस्तित्व सिद्ध होगा और ब्रह्माण्ड में यात्रा सुगम हो जाएगी। अमेरिका के इंस्टीट्यूट फॉर स्टडी के भौतिकविद जॉन माल्जासेना और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एलेक्सी मिलेकहिन ने एक तरीका पता लगाया है जो बड़े छेद पैदा कर सकता है। दोनों भौतिकविदों की दलील है कि रैलडल सुंदरम-दो मॉडल यात्रा करने योग्य वार्महोल समाधान संभव बनाता है, जहां वार्महोल इतने बड़े होते हैं कि यात्रा कर जिंदा रह सकें। इसके बाद साल 2017 में भौतिकविदों ने क्वांटम स्तर पर वार्महोल खोल पाने की बात की। यह दो क्वांटम वस्तुओं के बीच एक तरह का बहुत लंबी दूरी का कनेक्शन था। इस नई पद्धति ने वैज्ञानिकों को एक बड़ा और लंबे समय तक कायम रह सकने वाला वार्महोल बनाने के लिए प्रेरित किया।
भौतिकविद लीजा रैंडल और रमन सुंदरम ने रैंडल- सुंदरम मॉडल्स को 1999 में प्रस्तावित किया है जिससे कणभौतिकी में हिग्स पदसोपान की समस्या का समाधान निकल सके। इस नए शोध को वार्महोल के पिछले अध्ययनों की प्रगति माना जा रहा है। इसमें एक ऐसी खास मशीन की कल्पना की जाती रही है जिससे इंसान ब्रह्माण्ड के दो बिंदुओं के बीच सफर कर सकेंगे जो बहुत ज्यादा दूरी पर स्थित लगते हैं। दोनों भौतिकविद अपनी इस खोज के जरिए डार्क मैटर का खास बर्ताव देखना चाहते हैं। वार्महोल की अवधारणा के बारे में कहा जाता है कि इसका अस्तित्व ब्लैकहोल से भी जुड़ा है। जहां ब्लैक होल सारा पदार्थ अपने अंदर खींचता है वहीं व्हाइटहोल की भी अवधारणा है जो वे पिंड होते हैं जो पदार्थ बाहर निकालते हैं और दोनों के बीच की कड़ी वार्महोल होता है। यह एक तरह की सुरंग या ट्यूब होती है जो दो बहुत ही दूर जो सैकड़ों या करोड़ों प्रकाशवर्ष दूर स्थित बिंदुओं को बहुत ही कम समय में जोड़ देती है।
बता दें ‎कि आपने विज्ञान फंतासी की फिल्मों में ऐसा दृश्य जरूर देखा होगा जिसमें एक गोला बनने के बाद लोग एक स्थान से किसी बहुत दूर स्थान पर आसानी से चले जाते हैं। बहुत से लोगों, यहां तक कई वैज्ञानिकों को लगता है कि समय और उसके जरिए लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्रा असंभव नहीं हैं। कथाओं में इस तरह के वार्महोल का भी जिक्र है जो ब्रह्माण्ड में लंबी दूरी की यात्राओं को चुटकियों में पूरी करने में सक्षम होते हैं।

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