नई दिल्ली। हाल में हुए चुनावों की समीक्षा और आने वाले चुनावों की तैयारी को देखते हुए भाजपा संगठन में जल्द बदलाव किए जा सकते हैं। पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का भी गठन किया जा सकता है। केंद्र की मोदी सरकार के भी दो साल पूरे होने जा रहे हैं। वहां पर ही पहले विस्तार की संभावना बन रही है। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते इसमें कुछ समय और लग सकता है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीते साल जनवरी में विधिवत रूप से पार्टी की कमान संभाली थी, लेकिन कार्यकारिणी का गठन अभी तक नहीं हो सका है। इसके अलावा केंद्रीय संसदीय बोर्ड, केंद्रीय चुनाव समिति समेत कई अन्य समितियों का पुनर्गठन भी किए जाने की संभावना है। हालांकि, बीते साल केंद्रीय पदाधिकारियों की घोषणा कर केंद्रीय संगठन का बड़ा ढांचा तैयार कर रखा है, लेकिन उसके अलावा कई समितियां अभी पुराने प्रारूप में ही काम कर रही हैं। इससे केंद्रीय संगठन में आने की उम्मीद लगाए बैठे नेताओं का इंतजार बढ़ रहा है। जो मौजूदा समय में काम कर रहे हैं उनमें भी अगले कार्यकाल को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। पार्टी को अगले साल की शुरुआत में ही अपनी सत्ता वाले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे दो प्रमुख राज्यों में चुनाव में जाना है। इनमें जीत हार का व्यापक असर होता है, ऐसे में संगठन स्तर पर पार्टी को मजबूत किया जाना है। सबसे ज्यादा चिंता उत्तर प्रदेश को लेकर है, जहां हाल के पंचायत चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। हालांकि, पार्टी के एक प्रमुख नेता का मानना है कि हर चुनाव अलग होता है और उसकी दूसरे चुनाव से तुलना नहीं की जा सकती है। ऐसे में पार्टी पंचायत चुनाव के नतीजों पर ज्यादा चिंतन-मनन करने के बजाय विधानसभा चुनाव की तैयारी पर जोर दे रही है। उत्तर प्रदेश को लेकर विभिन्न स्तरों पर मंत्रणाओं का दौर जारी है और अगले एक महीने में कुछ बदलाव भी संभावित है। केंद्र की मोदी सरकार के दो साल पूरे होने को हैं लेकिन अभी तक एक भी फेरबदल या विस्तार नहीं हुआ है। कई मंत्रियों के पास दो से ज्यादा मंत्रालय हैं। इसके अलावा पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो सरकार में शामिल होने की प्रतीक्षा में हैं। मध्य प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार से आने वाले आधा दर्जन ऐसे नेता हैं जिनका उपयोग केंद्र सरकार में किए जाने की प्रबल संभावना भी है।

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