हैदराबाद। हैदराबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के संस्थापक, डॉ बी नागेश्वर रेड्डी का कहना है, कि भारत में साल 2021 के नवंबर-दिसंबर तक कोरोना का प्रकोप समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि एआईजी की ओर से 52 डॉक्टरों की टीम बनी है, जो कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों के इलाज के तरीकों का गहन अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन के बाद उपचार के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया गया है। इसका पालन करने से कोरोना पर नवंबर-दिसंबर तक काबू में आ सकता है।
उन्होंने कहा कि टीम ने कोविड रोगियों के लिए निर्धारित स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक दवाओं, ऑक्सीजन और सांद्रता के उपयोग, काले कवक के कारण आदि को ध्यान में रखकर इलाज का प्रोटोकॉल बनाया है। इस कोविड प्रोटोकॉल का उपयोग 20,000 गंभीर रूप से प्रभावित रोगियों पर किया था और उसमें से लगभग सभी को बचा लिया गया था। डॉ रेड्डी, जिन्हें पद्म भूषण और अमेरिकन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी क्रिस्टल अवार्ड से सम्मानित किया गया है, का कहना है कि भारत साल के अंत तक महामारी पर काबू पा सकता है, यदि एआईजी उपचार प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। साथ ही एक जोरदार टीकाकरण अभियान के साथ हम कोरोना के खिलाफ जंग जीत सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेयो क्लिनिक प्रोटोकॉल, संयुक्त राज्य अमेरिका के एनआईएच (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ) प्रोटोकॉल या हमारे अपने एम्स प्रोटोकॉल में समस्या यह है कि ये भारतीय मरीजों के लिए नहीं बनाए गए हैं। इनमें से अधिकांश प्रोटोकॉल उस पर निर्भर करते हैं जिसे रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल – आरसीटी कहा जाता है। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं इसका कारण यह है कि पश्चिमी देशों में उपचार प्रक्रिया भारतीय रोगियों या स्थितियों के अनुकूल नहीं हो सकती है।
उन्होंने कहा कि वहां वे स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक का उपयोग करते हैं, जो भारतीय रोगियों के लिए उचित नहीं हो सकता है। हमारे द्वारा हाल के दिनों में अपने नए प्रोटोकॉल के साथ 20,000 से अधिक कोविड के मामलों का इलाज किया है। देश में लगातार बढ़ रहे ब्लैक फंगल इंफेक्शन पर उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन में कुछ बातें सामने आई है, जो ब्लैक फंगस को बढ़ावा देती हैं।इस स्टेरॉयड का अधिक मात्रा में उपयोग पहला कारण है।यह संक्रमण मधुमेह के रोगियों में ज्यादा देखा गया है।सबसे बड़ा कारण अस्वच्छ वातावरण है। छोटे अस्पतालों में ऑक्सीजन का उपयोग भी एक कारण हो सकता है।पहली लहर में देखा गया है आम तौर पर लोगों के बीच मास्क का आदान-प्रदान होता है।यह भी संक्रमण का एक बड़ा कारण है।