नई दिल्ली। जनवरी से मार्च के दौरान यानी चौथी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की विकास दर 1.6 प्रतिशत रही है। जबकि सालाना आधार पर यानी अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 में चार तिमाहियों में पहली दो तिमाही में जीडीपी में गिरावट रही, जबकि अंतिम दो तिमाही में इसमें बढ़त देखी गई। यह लगातार दूसरी तिमाही होगी जिसमें कोरोना के बाद भी अर्थव्यवस्था बढ़ती नजर आएगी।
राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से कम रहा
दूसरी ओर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से कम रहा। वित्त मंत्रालय ने फिस्कल डेफिसिट का डाटा जारी किया। इसके तहत राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपए है। यह देश की जीडीपी का 9.3 प्रतिशत है, जो वित्त मंत्रालय के अनुमानित 9.5 प्रतिशत से कम है।फाइनेंशियल साल 2019-20 के दौरान फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहा था। 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के रेवेन्यू-खर्च के आंकड़ों को जारी करते हुए लेखा महानियंत्रक ने फाइनेंशियल इयर के अंत में राजस्व घाटा (रेवेन्यू डेफिसिट) 7.42 प्रतिशत रहा। अप्रैल में सालाना आधार पर भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर आउटपुट 56.1 प्रतिशत बढ़ा। बता दें कि देश के इंडस्ट्रियल आउटपुट में इंफ्रास्ट्रक्चर आउटपुट का योगदान करीब 40 प्रतिशत है। हालांकि, कोरोना के सेकेंड वेव के कारण मासिक आधार पर इंफ्रास्ट्रक्चर आउटपुट में अप्रैल में 15.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की विकीस दर प्रभावित हुई है और सरकार का खर्च बढ़ा है। इसके बावजूद फिस्कल डेफिसीट सरकार द्वारा तय 9.5 प्रतिशत से कम 9.3 प्रतिशत पर रहा, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।
एजेंसियों और बाजार जानकारों ने चौथी तिमाही में जीडीपी पॉजिटिव जोन में आने का अनुमान जताया था। एसबीआई रिसर्च का कहना था कि जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 1.3 फीसदी की ग्रोथ रह सकती है। हालांकि, एनएसओ ने चौथी तिमाही में 1 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है। पूरे साल को लेकर एसबीआई रिसर्च का आकलन जीडीपी में 7.3 फीसदी गिरावट का है।