बच्चों को बिमारी के दौरान दवा देते समय अभिभावकों को कुछ सावधानियां रखनी चाहिये जिससे पूरा लाभ मिल सके। सबसे पहले तो दवा समय पर दें और डॉक्टर जिस प्रकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने को कह उसे करें। इसमें अपने मन से कुछ न करें क्योंकि इससे नुकसान भी हो सकता है।
आमतौर पर जब बच्चे बीमार होते हैं तब हम सोचते हैं कि वह कितनी जल्दी ठीक हो जाएं लेकिन कई बार हम आराम होने पर कोर्स पूरा नहीं करते हैं ऐसा न करें क्योंकि इससे बच्चों में बिमारी पूरी तरह ठीक नहीं होती और वह जल्दी और दुबारा बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए डॉक्टर दवा का जो कोर्स तय करे वह जरुर पूरा करें।
ज्यादातर अभिभावक बच्‍चों को बीमारी से आराम आते ही दवा खिलाना बंद कर देते हैं क्योंकि, उन्हें लगता है कि अब बच्चे ठीक हो गए हैं तो ज्यादा दवा देना सही नहीं है लेकिन, कई बार ऐसी चीजें गलत हो जाती हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि बच्‍चे को दवा की पूरी खुराक नहीं देना ही बच्‍चों के बार-बार बीमार पड़ने की वजह होती है।
डॉक्टर हमेशा दवाई की पूरी दाव देने की सलाह इसलिए देते हैं।
संक्रमण का खतरा
जब आप किसी भी दवा की खुराक पूरा नहीं करती हैं तब इस तरह के संक्रमण का खतरा फिर बना रहता है क्योंकि, जब तक बच्चे के शरीर में दवा का असर रहता है तब तक वो ठीक रहते हैं और जैसे ही आप दवा बंद करती हैं वैसे ही संक्रमण दुबारा से शरीर पर हमला बोल देते हैं। इसलिए डॉक्टर के अनुसार आप दवा की पूरी खुराक अपने बच्चे को दें।
ताकि बीमारी पूरी तरह ठीक हो सके।
यह बिल्कुल सच है कि जब आप डॉक्‍टर द्वारा बताई गई दवा का कोर्स पूरा नहीं करती हैं तब बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती है। वहीं कुछ मामलों में बच्चे ठीक होने की बजाय और अधिक बीमार होने लगते हैं।
दवा की मात्रा
अक्सर आपने देखा होगा कि हर दवाई का एक खुराक होता है, जिसे पूरा करने पर ही वह शरीर में असर करता है। इसलिए डॉक्टर हमेशा डोज को ध्यान में रख कर ही किसी को दवा लिखते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि कौन से दवा का कितना डोज दिया जाना चाहिए।
इससे अगर बच्चे को किसी दवा से परेशानी है या एलर्जी है तो उस बारे में डॉक्टर से सलाह लें।

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