नई दिल्ली। ब्रिटेन में नई रिपोर्ट के बाद कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज के बीच अंतर घटाने की अपील के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को इस पर जवाब दिया। मंत्रालय ने कहा है कि पैनिक होने की जरूरत नहीं है और विशेषज्ञों की ओर से सावधानीपूर्वक परीक्षण के बाद इस तरह के फैसले लिए जाएंगे। कोरोना से रिकवर हो चुके लोगों को टीका नहीं लगाए जाने के सुझाव पर मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की बहस हो सकती है, लेकिन मौजूदा टीकाकरण नीति में किसी बदलाव के लिए बड़े परिदृश्य पर विचार की जरूरत है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा, ”यह एक गतिशील प्रक्रिया है। विज्ञान में कोई कट्टरवादी विचारधारा नहीं है। हमारे विशेषज्ञ ताजा घटनाक्रमों पर विचार करेंगे और फैसला लेंगे।” पिछले महीने ही भारत में कोविशील्ड के दो डोज के बीच अंतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया था। यह अंतर अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के बाद बढ़ाया गया था, जिनमें दावा किया गया था कि पहले डोज से ही काफी सुरक्षा मिल जाती है और दूसरे डोज में अंतर बढ़ाने से इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की ओर से ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि पहली डोज के बाद मिलने वाली सुरक्षा अनुमान से कम हो सकती है। इसके बाद वैक्सीन की दो डोज के बीच अंतर घाटाया जाने लगा है। उत्तरी आयरलैंड में इस अंतर को 10-12 सप्ताह से घटाकर 8 सप्ताह कर दिया गया है। ताजा अध्ययन में कहा गया है कि एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) वैक्सीन की पहली डोज से कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से 33 फीसदी सुरक्षा मिलती है। दूसरी डोज के बाद यह सुरक्षा डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ बढ़कर 60 फीसदी हो जाती है। डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले भारत में मिला था और इसे देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार बताया जाता है।

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