नई दिल्‍ली। केंद्र की तरफ से राज्‍यों को निजी अस्‍पतालों के लिए कोरोना वैक्‍सीन आबादी के हिसाब से बांटी जाएगी। राज्‍य और केंद्रशासित प्रदेश इन डोज का आवंटन करेंगे। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि प्राइवेट अस्‍पतालों की डिमांड को पूरा करते समय यह देखा जाएगा कि बड़े और छोटे अस्‍पतालों में बराबर का वितरण हो। क्षेत्रीय संतुलन भी साधने की कोशिश होगी। ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक वैक्‍सीन पहुंचाने के लिए एक फॉर्म्‍युला तैयार क‍िया गया है। प्राइवेट अस्‍पतालों की डिमांड का ब्‍योरा राज्‍यों की ओर से भेजा जाएगा। गाइडलाइंस के मुताबिक, पेमेंट नैशनल हेल्‍थ अथॉरिटी के इलेक्‍ट्रॉनिक प्‍लेटफॉर्म के जरिए होगा। इसके लिए प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया जा रहा है। केंद्र निजी अस्‍पतालों के लिए वैक्‍सीन नहीं खरीद रहा। एनएएच पोर्टल के जरिए पेमेंट करना ऑप्‍शनल होगा। यानी अस्‍पताल चाहें तो सीधे वैक्‍सीन निर्माता को भुगतान कर सकते हैं।
नया सिस्‍टम 21 जून से प्रभावी हो जाएगा। इसके तहत, कई राज्‍यों में पहुंच रखने वाले अस्‍पताल एक साथ बल्‍क में खरीद नहीं कर पाएंगे। हर राज्‍य में उन्‍हें स्‍थानीय सरकार की डिमांड का हिस्‍सा होना होगा। एक अधिकारी ने कहा, प्राइवेट अस्‍पताल सीधे वैक्‍सीन निर्माताओं से खरीदने के लिए स्‍वतंत्र हैं। हालांकि उन अस्‍पतालों, जो छोटे हैं या सीधी खरीद नहीं कर सकते, की मदद राज्‍य या केंद्र सरकार करेगी। इस कदम के पीछे सरकार की मंशा पूरे देश तक समान टीका वितरण की है। छोटे निजी अस्‍पतालों और दूर-दराज के इलाकों में मौजूद अस्‍पतालों को भी वैक्‍सीन का एक्‍सेस मिल सकेगा। निजी अस्‍पतालों के बीच टीकों का सही वितरण इस वजह से भी जरूरी हो गया था क्‍योंकि कई अस्‍पताल सीधी खरीद न कर पाने की वजह से टीकाकरण में पिछड़ रहे थे। नतीजा यह हुआ कि अधिकतर प्राइवेट टीकाकरण केंद्र मेट्रोज व टियर 1 शहरों में हैं। शुक्रवार रात 11 बजे हुए कुल 42,704 सत्रों में से, केवल 1,945 ही निजी क्षेत्र से थे। सरकार ने निजी अस्‍पतालों में वैक्‍सीनेशन का चार्ज भी तय कर दिया है।

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