नई दिल्ली। 21 जून को भारत ने एक दिन में 86 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लगाया। यह एक दिन में लगाए गए टीकों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।इस रिकॉर्ड ने भारत के चल रहे टीकाकरण अभियान की गति को बढ़ाने में एक नए चरण की शुरुआत की। कई राज्यों में वैक्सीनेशन की गति ने रफ्तार पकड़ ली है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हमें कोरोना की आने वाली तीसरी लहर से लड़ना है तो हमें कम-से-कम हर रोज एक करोड़ टीके लगाने होंगे। टीकाकरण की वर्तमान गति आगे चलकर टिकाऊ नहीं होगी और भारत के लिए यह गति पर्याप्त तेज नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि खुराकों की संख्या और ग्रामीणों में टीके को लेकर हिचकिचाहट हमारी धीमी गति की वजह है। अगर हमें कोरोना की तीसरी लहर को कमजोर करना है तो वैक्सीनेश की गति बढ़ानी होगी। अशोक विश्वविद्यालय में भौतिकी और जीव विज्ञान के प्रोफेसर गौतम मेनन, जो मॉडलिंग के प्रकोप पर भी काम करते हैं, ने ब्लोमबर्ग से कहा, “कुछ राज्यों में कड़े प्रयासों के बाद एक दिन में लगने वाले टीकों के आंकड़े में उछाल देखने को मिला है, इन राज्यों ने शायद इसी उद्देश्य के साथ वैक्सीन को स्टोर करके रख लिया था. अगर हम आने वाली लहर को कमजो र करना चाहते हैं तो हमें हर रोज 1 करोड़ खुराक प्राप्त करने की जरूरत होगी रिपोर्ट में बताया गया है, टीकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, भारत ने अब तक अपनी आबादी का केवल 4 प्रतिशत ही कवर किया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि जहां खुराक की उपलब्धता चिंता का विषय है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन से हिचकिचाहट भी एक गंभीर मुद्दा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि अनुभूति सहाय और सौरव आनंद, दक्षिण एशिया के अर्थशास्त्रियों के स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी में लिखा है, “यदि हर रोज 32 लाख खुराक देने की औसत गति बनाए रखी जाती है तो भारत साल के आखिर तक अपनी व्यस्क आबादी का 45 प्रतिशत और मार्च 202 के आखिर तक 60 प्रतिशत तक आबादी का टीकाकरण कर पाएगा. उन्होंने कहा कि यदि अधिक टीके उपलब्ध हो जाते हैं और गति में 30% की वृद्धि होती है, तो भारत 2021 के अंत तक पूरी तरह से 55% टीकाकरण कर सकता है।