नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी में फूट के बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई है। चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस दोनों के ही अपने अपने दावे हैं। इस बीच एलजेपी नेता चिराग पासवान इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं आखिर तक चाचा (पशुपति कुमार पारस) के दरवाजे पर खड़ा रहा। मेरी मां ने भी उन्हें छोटे भाई की तरह प्यार दिया।चिराग पासवान ने कहा कि अगर चाचा को केंद्र में मंत्री बनना था तो वो मुझे बता सकते थे। मैं खुद प्रधानमंत्री जी के पास ये मांग लेकर जाता। एक बार वो कह देते तो मैं उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बना देता। मैंने आखिरी तक पार्टी को बचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बिहार में अकेले चुनाव लड़ना पापा (राम विलास पासवान) की इच्छा थी। मैंने सबकी सहमति से ये फैसला लिया। एलजेपी की उस बैठक में पशुपति कुमार पारस भी मौजूद थे। चिराग पासवान ने कहा कि मेरे चाचा ने मेरी पीठ पर खंजर घोंपा है। मुझसे सिर्फ पांच सांसद और चार नेता अलग हुए हैं। ज्यादातर नेता मेरे साथ हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अभी तक यहपता नहीं है कि मेरे परिवार ने मुझे धोखा क्यों दिया। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर फैसले के साथ था लेकिन अब बीजेपी देखे कि उसे मेरा साथ देना है या नहीं एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा कि मैंने बहुत बार चाचा से बात करने की कोशिश की। लेकिन वो खुद मुझसे बात नहीं करना चाहते तो मैं क्या कर सकता हूं। बचपन से वो मेरे चाचा हैं और मुझे लगता है कि वो नहीं बदल सकते। मैं जिनकी गोद में खेला उन्होंने हाथ खींच लिए।