नई दिल्ली। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की दिल्ली यूनिट ने डार्कनेट और इंटरनेट फार्मेसी रूट से ड्रग्स की तस्करी करने वाले गिरोह के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर ऑपरेशन केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि गिरोह ने इंटरनेट फार्मेसी को भी तस्करी के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते थे, जिसमें 9 वेबसाइट्स भारत के बाहर पंजीकृत हैं।
केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि यह सिंडिकेट भारत में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक फैला हुआ है। ड्रग्स का यह जाल संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फिलीपींस तक फैला है। उन्होंने कहा ड्रग्स की तस्करी में सौदा क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन में होता था। भारत से बाहर के कुछ बैंक खाते भी एनसीबी की जांच के दायरे में हैं। ड्रग्स की खेप का रूट मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और अन्य देशों में है।
एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि पकड़े गए लोगों के पास से साइकोट्रॉपिक दवाएं, कोडीन बेस्ड कफ सिरप (सीबीसीएस) जब्त किए गए हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों के दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में बेस थे। इस नेटवर्क में हरिद्वार की एक दवा निर्माण कंपनी भी शामिल थी जिसका पहले ही भंडाफोड़ किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रतिबंधित पदार्थों को छिपाने के लिए हर्बल सप्लीमेंट पैकेट का उपयोग किया जा रहा था।
केपीएस मल्होत्रा ने बताया डिजिटल फॉरेंसिक के जरिए इस मॉड्यूल की ओर से पहले ही भेजे जा चुके एक लाख के ऑर्डर का पता चला है। एनसीबी ने इस संबंध में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की है। इंटरनेट फार्मेसी को भी एक विधि के रूप में इस्तेमाल किया जिसमें नौ वेबसाइट्स भारत के बाहर मौजूद हैं। धंधे में क्रिप्टो मुद्राएं और लेनदेन में बिटकॉइन का बड़ा हिस्सा होता है।

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