नई दिल्ली। भारत में तबाही मचाने वाला डेल्टा वेरिएंट अब दुनियाभर के देशों में मुश्किल बनता जा रहा है। यह खतरनाक वायरस अब तक 100 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नए आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा संक्रामक डेल्टा वेरिएंट, पहली बार इस साल फरवरी में भारत में पाया गया था, जो अब लगभग 100 देशों में फैल गया है। यह वायरस मूल वायरस की तुलना में ढाई गुना ज्यादा फैलने वाला है। डेल्टा वेरिएंट भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में ज्यादातर नए संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है। ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा बताता है कि पिछले चार हफ्तों में भारत के 224 जीनोम सीक्वेंसिंग मामलों में से 67 प्रतिशत डेल्टा संस्करण से जुड़े हैं। ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो वायरस वेरिएंट में जीनोम को ट्रैक करता है। 78 देशों के ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि डेल्टा वेरिएंट अब भारत, यूके, रूस, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य देशों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। पिछले चार हफ्तों (29 जून तक) के डेटा से पता चलता है कि यूके और सिंगापुर में जिन सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की है, उनमें से 90 फीसदी मामले डेल्टा वेरिएंट से जुड़े हैं। भारत में तबाही मचाने वाली दूसरी लहर के पीछे कोरोना का डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) ही था। तब से यह वेरिएंट एवाई.1 और एवाई.2 में बदल गया है और इसने डेल्टा प्लस वेरिएंट का रूप ले लिया है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी नई साप्ताहिक रिपोर्ट में कहा और आगाह किया कि वायरस के स्ट्रेन्स का तेजी से विस्तार हो रहा है। “29 जून, 2021 तक, 96 देशों ने डेल्टा वेरिएंट के मामलों की सूचना दी है, हालांकि इसकी संभावना कम है क्योंकि वेरिएंट की पहचान करने के लिए आवश्यक सीक्वेंसिंग क्षमता सीमित है। इनमें से कई देश इस प्रकार के संक्रमण को फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है, “ट्रांसमिसिबिलिटी में वृद्धि को देखते हुए, डेल्टा वेरिएंट के अन्य वेरिएंट्स को तेजी से मात देकर आने वाले महीनों में प्रमुख वेरिएंट बनने की उम्मीद है।” डेल्टा संस्करण के प्रसार को लेकर परेशान ऑस्ट्रेलिया ने अपने कुछ शहरों में लॉकडाउन लगा दिया है। दक्षिण अफ्रीका ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 27 जून से शुरू होने वाले दो सप्ताह के लिए प्रतिबंध लगा दिया। नए संस्करण की अत्यधिक संक्रामक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, दुनिया के कई देशों में प्रतिबंध फिर से वापस आ गए हैं।

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