नई दिल्ली। सोशल साईट ट्विटर अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा है। हाल ही में संसद की स्थायी समिति ने ट्विटर से पूछा था कि उसने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस नेता शशि थरूर का अकाउंट क्यों लॉक किया? इस सवाल का जवाब देने के लिए ट्विटर को 48 घंटे का वक्त दिया गया था। लेकिन समय सीमा समाप्त हो जाने के बावजूद भी ट्विटर ने अब तक इस महत्वपूर्ण सवाल पर अपना जवाब नहीं दिया है। इससे पहले सूचना व प्रौद्योगिकी से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने ट्विटर से पूछा था कि उसने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और शशि थरूर का अकाउंटर किस आधार पर लॉक किया था। कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सचिवालय को दो दिनों के भीतर ट्विटर से लिखित में जवाब मांगने का निर्देश दिया था। बुधवार को केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रमुख इंटरनेट मीडिया कंपनियों से जवाबदेही की मांग करते हुए कहा था कि ट्विटर ने उनके खाते को अमेरिकी कॉपीराइट अधिनियम का नाम ले कर रोक दिया था। उन्होंने कहा कि उसे भारत के कानून का भी तो ध्यान रखना चाहिए, जहां वह काम कर रही है और पैसे कमा रही है। बता दें कि ट्विटर ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के खाते @rsprasad को 25 जून को लगभग एक घंटे तक ब्लॉक कर दिया था। साथ ही एकाउंट तक एक्सेस देने से इनकार कर दिया था। ट्विटर ने कहा था कि रविशंकर प्रसाद ने यूएस डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन किया है, लेकिन मंत्री ने कहा था कि माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने नए आईटी नियमों का उल्लंघन किया है जिसके लिए मध्यस्थ या उपयोगकर्ता सामग्री की मेजबानी की आवश्यकता होती है। पहुंच लॉक करने से पहले यूजर को पूर्व सूचना देना जरूरी है। आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर अपना एजेंडा चलाने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी ट्विट कर बताया था कि उन्हें भी कुछ इसी तरह का सामना करना पड़ा था। शशि थरुर ने कहा था कि ‘रविजी, मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। स्पष्ट रूप से डीएमसीए अतिसक्रिय हो रहा है। पहले उपराष्ट्रपति के ब्लू टिक को हटाना फिर बहाल करना, कानून और सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद के अकाउंट को ब्लॉक और बहाल करना, संसदीय समति के अध्यक्ष शशि थरूर के साथ फिर उसी तरह की हरकत, उसके बाद जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को भारत के नक्शे से हटाना और बाद में शामिल करना। इसके अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देना। ट्विटर पर लगातार ऐसे कई आरोप लग रहे हैं जिस पर सरकार इस माइक्रोब्लॉगिंग साइट को लगातार चेतावनी दे रही है। ट्विटर पर कई राज्यों में केस भी दर्ज हो चुका है।

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