मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐसे शख्स को अग्रिम जमानत दे दी है, जिस पर अपनी मंगेतर के साथ रेप करने का आरोप लगा था। दोनों के परिवार शुरू में उनकी शादी के लिए राजी हो गए थे और शादी से पहले होने वाली कुछ रस्में भी हो गई थीं। लेकिन फिर महीनों बाद शादी कैंसिल कर दी गई। शादी कैंसिल हो जाने के बाद भी लड़के और लड़की दोनों ने अपना मिलना जारी रखा था। कई मौकों पर दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए। लेकिन फिर जब आदमी ने शादी करने से इनकार कर दिया तो महिला ने पुलिस में बलात्कार की शिकायत दर्ज करा दी। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदमी को जमानत दे दी है। इसके पूर्व ओरोपी युवक के वकील ने कहा, चूंकि महिला ने रिश्ते के लिए सहमति दी थी, इसलिए बलात्कार के अपराध से संबंधित धारा को लागू नहीं किया जा सकता है।
महिला ने बताया कि जनवरी 2020 में एक आदमी उसके परिवार के पास से पुरुष की ओर से शादी का प्रस्ताव आया। परिवार ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और शादी से पहले की कुछ रस्में भी कर ली गईं। यह तय किया गया था कि शादी नवंबर 2020 में होगी। हालांकि, मार्च 2020 में जब नेशनल लॉकडाउन लागू हुआ, तो परिवारों ने फैसला किया कि शादी 2021 में होगी। इस दौरान महिला लगातार पुरुष के परिवार के संपर्क में थी। 2 मार्च, 2021 को उस व्यक्ति ने महिला को बोरीवली में मौजूद अपने घर बुलाया। उस समय घर में और कोई नहीं था। दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए, हालांकि महिला ने कहा है कि वह इसके लिए राजी नहीं थी। महिला कथित तौर पर इसके बाद कुछ मौकों पर पुरुष के साथ गोराई बीच के कुछ होटलों में भी गई। इस दौरान उस व्यक्ति ने कथित तौर पर महिला के साथ शादी करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
आदमी की ओर से पेश हुए, वकील सिद्धेश बोरकर ने अदालत को बताया कि परिवार के दबाव के कारण दिसंबर 2020 में ही जोड़े की शादी को रोक दिया गया था क्योंकि महिला की बड़ी बहन की शादी नहीं हुई थी। उन्होंने तर्क दिया कि महिला को पता था कि यह शादी संभव नहीं थी और इसके बाद भी इस साल मार्च में जोड़े ने शारीरिक संबंध बनाए। उन्होंने कहा, चूंकि महिला ने रिश्ते के लिए सहमति दी थी, इसलिए बलात्कार के अपराध से संबंधित धारा को लागू नहीं किया जा सकता है। इस बीच, सरकारी वकील अनामिका मल्होत्रा ने कुछ जांच पत्रों पर भरोसा करते हुए अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया जिसमें महिला के रिश्तेदारों के बयान शामिल थे। लेकिन जस्टिस सारंग कोतवाल ने कागजातों को देखा और पाया कि दिसंबर 2020 में ही शादी को रद्द कर दिया गया था।