चंडीगढ़। बिजली की भारी कमी के बीच पंजाब बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 1,140 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए रोजाना 12 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। गांवों में बिजली चोरी थमने का नाम नहीं ले रही है। धान के खेतों के लिए मुफ्त बिजली मिलने के बावजूद गांवों में हर साल 800 करोड़ रुपये से ज्यादा बिजली की चोरी होती है। घरेलू और वाणिज्यिक शहरी उपभोक्ता 300 करोड़ रुपये की बिजली चोरी करते हैं, जबकि उद्योगों में सालाना 100 करोड़ रुपये प्रति वर्ष बिजली चोरी के मामले सामने आते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक लोग पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) की आपूर्ति लाइनों से प्रति दिन 3 करोड़ रुपये की बिजली की चोरी कर रहे हैं, जिसमें ग्रामीण पंजाब में 66.66 प्रतिशत वितरण नुकसान कैपेसिटर, अवैध कुंडियों का उपयोग करके बिजली चोरी के कारण होता है। इसमें मीटर से छेड़छाड़ भी शामिल है। पंजाब के कुछ हिस्सों में बिजली चोरी से पीएसपीसीएल को लगभग 14 प्रतिशत का वितरण नुकसान होता है।
बिजली की यह चोरी साल भर जारी रहती है। विशेषज्ञों का कहना है अगर चोरी को नियंत्रित किया जाता है तो बिजली की लागत 1 रुपये प्रति यूनिट तक कम हो सकती है। वितरण नेटवर्क में औसतन 10 प्रतिशत की हानि के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में नुकसान 20-50 प्रतिशत से अधिक और ग्रामीण आपूर्ति लाइनों में 50-79 प्रतिशत से अधिक है। पीएसपीएल के एक फील्ड अधिकारी का कहना है कि हम यह जानकर हैरान रह गए कि ग्रामीण इलाकों में हर दूसरे घर में बिजली मीटरों को काम करने से रोकने के लिए स्मार्ट तरीके से उपकरण लगे हैं या बिजली चोरी करने के लिए स्थायी ‘कुंडियों’ का भी इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि हम दबाव में हैं क्योंकि ये चोर राजनीतिक लॉबी से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं और अक्सर विधायकों और स्थानीय राजनेताओं के हस्तक्षेप के बाद छापे मारे जाते हैं। पीएसपीएल प्रवर्तन विंग के एक अधिकारी ने कहा कि शहरों की तुलना में लगभग सभी गांवों में नुकसान अधिक है। कई गांवों में घर के मालिक दिन भर में तीन एयर कंडीशनर का उपयोग करने के बावजूद प्रति माह 500 रुपये से अधिक बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। पीएसपीएल के सीएमडी ए वेणु प्रसाद ने पुष्टि की कि अधिकांश वितरण नुकसान पूरे राज्य में ग्राम फीडरों पर दर्ज किए गए हैं। डिफॉल्टरों के खिलाफ पहले ही 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक का जुर्माना लगाया जा चुका है।

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