नई दिल्ली। पूर्व मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद से बाहर किए जाने को लेकर ज्यादातर लोगों की राय है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। डॉ. हर्षवर्धन को हटाए जाने को लेकर चर्चा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सही मैनेजमेंट न कर पाने का खामियाजा उन्हें उठाने पड़ा है। लेकिन लोगों का कहना है कि इसके लिए वह अकेले ही जिम्मेदार नहीं कहे जा सकते। एक सर्वे में 54 फीसगी लोगों ने कहा कि कोरोना काल में लोगों को हुई परेशानियों के लिए डॉ. हर्षवर्धन अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। इस सर्वे के तहत 1,200 लोगों की राय ली गई है। इसके तहत 18 साल से अधिक के सभी आयु वर्ग के लोगों की राय ली गई है। हालांकि इस सर्वे में शामिल हुए 29 फीसदी लोगों ने कहा कि वह मानते हैं कि डॉ. हर्षवर्धन कोरोना काल में मैनेजमेंट सही से नहीं कर पाए। वहीं पेट्रोलियम मिनिस्टर तब्दील किए जाने को लेकर भी लोग बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। सर्वे में शामिल 55 फीसदी लोगों ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान को हटाकर हरदीप सिंह पुरी को पेट्रोलियम मंत्री बनाए जाने से डीजल और पेट्रोल की कीमत पर कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। शिक्षा मंत्री बदलने से 52 पर्सेंट लोगों को सुधार की है उम्मीद हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्री बदलने को लेकर जरूर लोगों ने सकारात्मक राय जाहिर की है। सर्वे में शामिल 52 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे देश में शिक्षा की स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी। वहीं 35 फीसदी लोगों ने इससे इनकार किया। बता दें कि बुधवार को हुए मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में बड़ा फेरबदल किया गया है। रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, डॉ. हर्षवर्धन समेत कई कैबिनेट मंत्रियों को सरकार से बाहर किया गया है। कुल 12 मंत्रियों को पद से हटाया गया है और 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इसके अलावा अनुराग ठाकुर, हरदीप सिंह पुरी, मनसुख मांडविया समेत कई नेताओं का प्रमोशन भी किया गया है।

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