नई दिल्ली। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे अपने विभिन्न स्वायत्त अनुसंधान और विकास संस्थानों की शोध क्षमता का लाभ उठाकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग (डीएसटी) को अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि शोध प्रकाशनों के मामले में आज देश वैश्विक रैंकिंग में तीसरे स्थान पर है और दुनिया की प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त विज्ञान पत्रिकाओं में शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता की दृष्टि से देश वैश्विक स्तर पर नौवें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि वैसे तो, शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता की वैश्विक रैंकिंग में भारत 14वें से 9वें नंबर पर आ गया है, इसके बावजूद आजादी के 75 साल पूरे होने तक देश को शीर्ष पांच में लाने के सामूहिक प्रयास होने चाहिए। मंत्री ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष ध्यान देने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से ही पेंटेंट कानून को नियामक कम और प्रोत्साहन उन्मुख अधिक बनाया गया था, जिससे न केवल काम करने में आसानी होती है बल्कि पेटेंट में सुधार के लिए समय भी कम लगता है। इतना ही नहीं, पिछले 7 वर्षों में दायर रेजिडेंट पेटेंट की संख्या, फुल टाइम इक्यूवेलंट (एफटीई) की संख्या और महिला वैज्ञानिकों की संख्या में वृद्धि हुई है। मंत्री ने मानव संसाधन से संबंधित योजनाओं जैसे एमएएनएके, आईएनएसपीआईआरई, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट फेलोशिप और अन्य योजनाओं में लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

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