कानपुर। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मण मतदाताओं को साधने में जुट गई हैं। अयोध्या में रविवार को आयोजित बसपा के प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठी (ब्राह्मण सम्मेलन) ने सभी राजनीतिक पार्टियों को विचार करने पर मजबूर कर दिया है। बसपा की इस पहल के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव भी चल पड़े हैं। उन्होंने सभी जिला इकाइयों के ब्राह्मण नेताओं को विशेष अहमियत देते हुए ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है।
सपा ने रणनीति बनाई है कि ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए ब्राह्मण नेताओं को ही सामने रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश में में सभी राजनीतिक दल ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए अपनी-अपनी तरह से कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ब्राह्मण मतदाताओं को अपना परंपरागत वोटर मानती है। कांग्रेस का कहना है कि 1989 से पहले यूपी को 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री दिए हैं। सपा भगवान परशुराम की प्रतिमा लगवाने की बात कर ब्राह्मण मतदाताओं को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है।
बसपा ब्राह्मण मतदाताओं को 2007 का मॉडल दिखाकर उनकी सबसे बड़ी हितैषी बनते हुए सामने आई हैं। बसपा ने आयोध्या से प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठी (ब्राह्मण सम्मेलन) कर चुनाव प्रचार का बिगुल फूंक दिया है। बसपा का चुनावी बिगुल सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है। अखिलेश को इस बात की चिंता सताने लगी है कि उनके ब्राह्मण सपा नेता टूटकर बसपा का दामन न थाम लें। इसी लिए उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में ब्राह्मण नेताओं को एकजुट रखने का काम शुरू कर दिया है।
सपा संगठन में में ब्राह्मण नेताओं को अहम जिम्मेदारियां भी दी जाने वाली हैं। एसपी के नेता ने बताया कि कानपुर में पूर्व जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्र, पूर्व विधायक मुनींद्र शुक्ला, विधायक अमिताभ वाजपेई समेत तमाम नेताओं को सक्रिय किया गया है। संगठन के पदाधिकारियों को कहा गया है कि ब्राह्मण नेताओं को फ्रंट पर रखा जाए। समाजवादी पार्टी बूथ स्तर पर जाकर ब्राह्मण मतदाताओं को जुटाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए एक बड़े अभियान की शुरुआत होने वाली है। बसपा कानपुर मंडल में बूथ स्तर पर ब्राह्मण भाईचारा अभियान चला रही है। बसपा के कार्यकार्ता नई ऊर्जा के साथ संगठन को मजबूत करने में जुटे है। भाजपा के पास कानपुर में ब्राह्मण नेताओं की बड़ी टीम है। कानपुर में सांसद समेत दो विधायक ब्राह्मण हैं। इसके साथ ही कानपुर-बुंदेलखंड भाजपा का सबसे मजबूत किला माना जाता है। इस क्षेत्र में कांग्रेस का भी अच्छा प्रभाव रहा है। प्रियंका गांधी ने जब से यूपी की कमान संभाली है, लगभग सभी जिलों में नई जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया है। इनमें ब्राह्मण नेताओं को विशेष तरजीह दी गई है।