नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान की लगातार बढ़ती ताकत और कब्जे से हालात गंभीर होते जा रहे हैं। इस बीच भारत ने दो महीनों के भीतर चौथी बार अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने भारतीयों को गाइडलाइंस का पालन करने के लिए कहा है। इससे पहले भी दूतावास ने भारतीयों को तत्काल अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा था। अफगानिस्तान में अभी भी 1500 भारतीय मौजूद हैं। भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने भी अपने नागरिकों के लिए ए़डवाइजरी जारी कर दी है।
नागरिकों के अलावा दूतावास ने भारतीय मीडिया संस्थानों के सदस्यों को भी रिपोर्टिंग के दौरान अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है। हाल ही में भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई थी। दूतावास की तरफ से तीसरी सुरक्षा सलाह में कहा गया था कि अफगानिस्तान पहुंचे, यहां रह रहे और काम कर रहे सभी भारतीयों को देश के अलग-अलग हिस्सों में फ्लाइट की उपलब्धता की जानकारी रखने की सलाह दी जा रही है।
साथ ही दूतावास ने कुछ हिस्सों में कमर्शियल फ्लाइट्स बंद होने से पहले नागरिकों को तत्काल व्यवस्था कर भारत लौटने की सलाह दी थी। तालिबान ने महज एक हफ्ते के भीतर अफगानिस्तान की 34 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। बीते गुरुवार को ही गजनी शहर भी तालिबान के कब्जे में आ गया था। अमेरिकी खुफिया विभाग ने जानकारी दी है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल भी 90 दिनों में विद्रोहियों के हत्थे चढ़ सकती है। देश में मौजूदा हिंसक हालात के चलते हजारों लोगों की मौत हो गई है। वहीं, लाखों लोग विस्थापित हो रहे हैं। भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने भी अपने नागरिकों को तुरंत घर लौटने की सलाह दी है। अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर कतर की तरफ से आयोजित हुई एक बैठक में भारत भी शामिल हुआ था। खबर के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि विदेश मंत्रालय (एमईए) में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन में संयुक्त सचिव जे पी सिंह ने बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि बैठक में अफगानिस्तान के कई महत्वपूर्ण हितधारकों ने भाग लिया। बागची ने कहा कि संघर्ष समाधान के लिए कतर के विशेष दूत मुतलाक बिन माजिद अल-काहतानी ने पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी की अपनी यात्रा के दौरान भारत को बैठक में शामिल होने का आमंत्रण दिया था।














