कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा को मात देने के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की अब पूर्वोत्तर में भाजपा को कड़ी चुनौती दे रही है। तृणमूल से इस मिशन की कमान भाजपा से वापस तृणमूल कांग्रेस में गए मुकुल राय व ममता बनर्जी के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी संभाल रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा से असम के मुख्यमंत्री व नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) के प्रमुख हेमंत विस्वा सरमा कमान संभाले हुए हैं।
भाजपा ने बीते सालों में मिशन मोड में काम कर पूर्वोत्तर को कांग्रेस मुक्त (किसी राज्य में सरकार नहीं) कराया था। इसके बाद कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। असम समेत विभिन्न राज्यों में उसके प्रमुख नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। भाजपा के इस मिशन में हेमंत विस्वा सरमा के साथ मुकुल राय का भी प्रमुख हाथ रहा था। मुकुल राय के चलते ही कई जगह तृणमूल के नेता भाजपा के साथ आए थे। अब जबकि मुकुल राय भाजपा से वापस तृणमूल कांग्रेस में चले गए हैं, तो उन्होंने भाजपा के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू कर दी है।
ममता बनर्जी ने अपने मिशन पूर्वोत्तर में अभिषेक बनर्जी को तैनात किया है। बंगाल की जीत के बाद ममता बनर्जी के हौसले बुलंद हैं और वह पूर्वोत्तर के जरिए अपनी ताकत बढ़ाने और राष्ट्रीय दल का दर्जा पाने और भाजपा के मुख्य विरोधी के तौर पर उभरने की तैयारी में हैं। पूर्वोत्तर में कमजोर कांग्रेस ने उनको यह मौका दिलाया है। ऐसे में अब पूर्वोत्तर में विभिन्न राज्यों के छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ बड़ा मुकाबला भाजपा व तृणमूल कांग्रेस में होने के आसार हैं।
भाजपा की रणनीतिक कमान असम के मुख्यमंत्री व नेडा के प्रमुख हेमंत विस्वा सरमा के हाथों में हैं। उन्होंने भी अपना काम शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के बाद असम में कांग्रेस के दो विधायकों ने भाजपा का दामन भी थामा है। चूंकि हेमंत विस्वा सरमा नेडा के प्रमुख होने के नाते सभी राज्यों के नेतृत्व के संपर्क में हैं इसलिए उन पर असम के साथ सभी राज्यों में तृणमूल को रोकने की जिम्मेदारी होगी। साथ ही भाजपा को आगे बढ़ाने व क्षेत्रीय गठबंधनों को मजबूत भी करना होगा। हाल में असम व मिजोरम के बीच हिंसक सीमा विवाद के बाद भाजपा की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इस स्थिति का लाभ उठाकर तृणमूल कांग्रेस अपने लिए नया रास्ता बना सकती है। सूत्रों के अनुसार भाजपा भी अपनी रणनीति में बदलाव ला सकती है और हेमंत विस्वा सरमा के साथ कुछ और नेताओं को इस क्षेत्र में विशेष जिम्मेदारी दे सकती हैं। इसमें केंद्रीय व क्षेत्रीय नेता हो सकते हैं।

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