नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों से ओबीसी बिल पारित होने के बाद राज्यों ने अपनी ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची तैयार करना शुरू कर दिया है। संसद ने 127वें संविधान संशोधन को मंजूरी देकर राज्यों को अपने स्तर पर ओबीसी आरक्षण के लिए जातियों की सूची तैयार करने का अधिकार दिया है। इसी के तहत अब राज्यों में हलचल तेज हो गई है और नई सूची तैयार करने का काम हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने 39 नई जातियों को ओबीसी की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया है। राज्य में फिलहाल 79 जातियां ओबीसी आरक्षण के दायरे में आती हैं। राज्य पिछड़ वर्ग आयोग के चेयरमैन जसवंत सैनी ने कहा, ‘हमारा काम राज्य सरकार से सिफारिश करना है। 24 जातियों के लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है और कुछ सिफारिशें सरकार को पहले ही भेजी जा चुकी हैं। आयोग का कहना है कि अभी 15 और जातियों का सर्वे किया जाना है और फिर सभी सिफारिशों को राज्य सरकार के समक्ष भेजा जाएगा। यूपी ही नहीं दक्षिण भारत के बीजेपी शासित राज्य में भी यह काम शुरू हो चुका है। आयोग उन जातियों की मांग पर विचार कर रहा है, जिन्होंने ओबीसी सूची में एंट्री की डिमांड की है। कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य सरकार भी राज्य में 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में अगले ही साल चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में 39 जातियों को ओबीसी में शामिल करने की कवायद बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। भले ही पार्टी इसे सामाजिक न्याय बता रही है, लेकिन चुनाव से पहले यह कवायद उसकी रणनीति को मजबूत जरूर करेगी। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में नए ओबीसी आयोग के गठन का ऐलान किया था। इसके तहत ओबीसी बिरादरी को 27 फीसदी आरक्षण देने का काम किया जाएगा।

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