नई दिल्ली। पुणे में आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पिछले एक साल से कोरोना युद्धस्तर पर काम कर रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के ओटीटी चैनल इंडिया साइंस के साथ एक साक्षात्कार में आईसीएमआर-एनआईवी की निदेशक सुश्री प्रिया अब्राहम ने कहा, “2021 हमारे लिए एक कठिन लेकिन फल देने वाला वर्ष था” क्योंकि देश सार्स-सीओवी-2 पर वैज्ञानिक अनुसंधान में सबसे आगे रहा है। उन्होंने बताया: “हमने अप्रैल (2020) के अंत तक भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) को एक सेपरेट विंग बनाकर और एक स्ट्रेन दिया, जिसके बाद उन्होंने मई के महीने में एक पूरी तरह से विषाणु को निष्क्रिय करने वाला टीका विकसित किया। उन्होंने उसे हमें समीक्षा के लिए दे दिया। हमने उस टीके के क्षमता को मापने के लिए जांच कीद्ध इसके बाद टीके के असर का पूर्ण लक्षण का पता लगाने के लिए हैम्स्टर और गैर-मानव प्राइमेट, यानी बंदरों पर पूर्व-नैदानिक परीक्षण शुरू किया। वे बहुत कठिन प्रयोग हैं। ये हमारे उच्चतम जैव-सुरक्षा स्तर-4 स्तर की नियंत्रण सुविधाओं में संचालित किए गए थे। अगले चरण में, हमने नैदानिक पहलू और प्रयोगशाला के जरिये चरण I, II और III चरण के परीक्षणों की जांच की।

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