नई दिल्ली। एम्स झज्जर में एडमिट मरीजों की रिपोर्ट में जहां बिना वैक्सीनेशन वाले 294 (76 पर्सेंट ) की मौत हुई, वहीं दोनों डोज वैक्सीन लेने वालों में से सिर्फ 1 की मौत हुई। यानी सिर्फ 0.03 पर्सेंट की ही मौत हुई। जो यह दर्शाता है कि वैक्सीनेशन ही इस वायरस के खिलाफ सबसे कारगर हथियार है, इसलिए जब भी मौका मिले, वैक्सीनेशन जरूर कराएं। कोरोना के खिलाफ वैक्सीन सबसे बड़ा बचाव है। यह न केवल बीमारी को गंभीर होने से बचाता है, बल्कि मौत के खतरे को कभी कम करता है।
एम्स की रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीनेशन को लेकर 1818 मरीजों की स्टडी की गई। इसमें से 1314 मरीजों यानी 72.3 पर्सेंट ने वैक्सीन नहीं ली थी। एम्स झज्जर में इलाज के लिए एडमिट बिना वैक्सीनेशन वालों में से 294 लोगों की मौत हो गई। मतलब 76.4 पर्सेंट की मौत हो गई। जबकि एडमिट हुए 215 मरीज ऐसे थे, जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लिए दो हफ्ते से कम समय में ही कोरोना हो गया। ऐसे 11.8 पर्सेंट मरीज थे। इसमें से 42 (10.9 पर्सेंट) की मौत हो गई। लेकिन, वैक्सीन की पहली डोज लेने के दो हफ्ते बाद 258 मरीज एडमिट हुए, यानी एक डोज लेने के बाद संक्रमित मरीजों की संख्या 14.2 पर्सेंट थी। इसमें से 48 (12.5 पर्सेंट) की मौत हो गई। वहीं, जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थीं, ऐसे 31 लोग संक्रमित होने की वजह से एडमिट हुए थे। यानी सिर्फ 1.7 पर्सेंट को ही एडमिशन की जरूरत हुई और सिर्फ एक मरीज यानी 0.03 पर्सेंट की ही मौत हुई।
स्टडी में शामिल एक डॉक्टर ने कहा कि इससे यह साफ होता है कि कि वैक्सीनेशन कितने बड़े स्तर पर कारगर है। जहां बिना वैक्सीन वाले 76 पर्सेंट की डेथ हो जाती है, वहीं दोनों डोज लेने के बाद सिर्फ 0.3 पर्सेंट की मौत हुई। इसलिए, इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन एक बहुत बड़ा बचाव है। लोगों को इसे समझना चाहिए।