नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने कहा है कि कोरोना वायरस (कोविड -19) बीमारी की तीसरी लहर अक्टूबर के आसपास अपने चरम पर पहुंच सकती है। ये बच्चे वयस्कों की तरह गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, समिति ने डॉक्टरों, कर्मचारियों और वेंटिलेटर और एम्बुलेंस जैसे उपकरणों सहित बाल चिकित्सा सुविधाओं की गंभीर आवश्यकता के बारे में बात की है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के तहत विशेषज्ञों की समिति का गठन किया गया था। रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने अन्य बीमारी वाले बच्चों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान को प्राथमिकता देने के बारे में भी लिखा है। बता दें कि देश के दवा नियामकों ने 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए जायडस कैडिला के जायकोव -डी वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। यह अभियान अभी शुरू होना बाकी है। इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडवीय ने संकेत दिया था कि बच्चों को सितंबर से वायरस के खिलाफ वैक्सीन की खुराक मिलनी शुरू हो सकती है। करीब 28,0000 वॉलेन्टियर्स पर जायडस कैडिला की प्रभाव क्षमता 66.6 प्रतिशत रही। जानकारी के मुताबिक यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने वाली पहली प्लाज्मा डीएनए वैक्सीन है। इसमें वायरस के जेनेटिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। यह डीएनए या आरएनए को सूचना देते हैं ताकि प्रोटीन बने और इम्युन सिस्टम बढ़े। जायडस कैडिला वैक्सीन को बॉायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर बनाया गया है। इस वैक्सीन को बनाने वालों ने जुलाई के महीने में कहा था कि यह वैक्सीन कोविड-19 से लड़ने में काफी सक्षम है। खासकर कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से।

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