काबुल। अफगानिस्‍तान में तालिबान के काबिज होने के बाद भी यहां पंजशीर घाटी में उसका कब्जा नहीं हो सका है कब्जा करने आए 40 ताल‍िबान आतंकियों को अहमद मसूद के लड़ाकुओं ने मार गिराया है। बताया जा रहा है कि तालिबानी अहमद मसूद की किसी तरह से हत्‍या करना चाहते हैं ताकि पंजशीर में विद्रोही आंदोलन को कुचला जा सके। उधर, पंजशीर के शेरों ने भी तालिबान के खिलाफ खूनी जंग के लिए कमर कस ली है। विद्रोहियों ने पंजशीर घाटी के अंदर एक पूरे स्‍टेडियम को गोला-बारूद से भर दिया है। उनके पास दो हेलिकॉप्‍टर भी हैं। तालिबान और पंजशीर के विद्रोहियों के बीच में पिछले कई दिनों से भीषण वार-पलटवार जारी है। पंजशीर घाटी एकमात्र जगह है जहां पर अभी विद्रोहियों का कब्‍जा है। तालिबान का दावा है कि उसने पंजशीर को घेर लिया है और विद्रोह को दबा दिया गया है लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। तालिबानी हमले लगातार विफल हो रहे हैं और उन्‍हें बातचीत का सहारा लेना पड़ रहा है।
विद्रोहियों के इस किले पर फतह के लिए बेताब तालिबान को ताजा हमलों में 40 लड़ाकुओं को खोना पड़ा है। अब तक ब्रिटेन, सोवियत संघ या तालिबान कभी भी किसी ने पंजशीर घाटी पर कब्‍जा नहीं किया है। हजारों की तादाद में एंटी तालिबान लड़ाके यहां जमा हैं और तालिबान को करारा जवाब दे रहे हैं। उन्‍होंने नॉर्दन एलायंस का झंडा बुलंद किया है जो वर्ष 1996 से लेकर 2001 के बीच में तालिबान का विरोध कर चुका है। अब खतरा इस बात का सता रहा है कि तालिबान अमेरिका से मिले घातक हथियारों की मदद से पंजशीर घाटी पर हमला बोल सकता है। अरबों डॉलर के इन हथियारों में आर्मड वीकल, असॉल्‍ट हथियार और हेलिकॉप्‍टर शामिल हैं। उधर, इससे निपटने के लिए पंजशीर के लड़ाकुओं ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है। उन्‍होंने बड़े पैमाने पर गोला बारूद जमा किया है। उन्‍हें पहले ही इस बात का डर था कि ऐसा दिन आ सकता है जब पंजशीर के लोगों को हथियार उठाना पड़ सकता है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में नजर आ रहा है कि पंजशीर के एक स्‍टेडियम में सेना के वाहन, हेलिकॉप्‍टर रखे गए हैं। यही नहीं घाटी के चारों ओर मशीन गन से किलेबंदी की गई है। अगर तालिबानी घुसते हैं तो उन्‍हें मुंहतोड़ जवाब का सामना करना पड़ सकता है। नॉर्दन एलायंस के नेता फहीम फेतरात ने मीडिया से कहा, ‘मैं सेना की विशेषता के बारे में नहीं बता सकता हूं लेकिन हमारे पास इतना है कि हम लंबे समय तक पंजशीर घाटी में अपनी पकड़ बनाकर रख सकते हैं। हमारे पास अभी भी सोवियत संघ के जमाने के हथियार और 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ संघर्ष के दौर के हथियार मौजूद हैं।’

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