• मप्र में सरकार शराबबंदी नहीं करेगी तो मैं सरकार के खिलाफ मैदान में आउंगी
  • शराबबंदी लट्ठ से ही होगी, शिवराज-वीडी शर्मा कहते हैं कि जागरूकता से होगी

भोपाल । भाजपा सरकार और संगठन से नाराज चल रही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शराब बंदी की आड़ में अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि गंगा जी की यात्रा 15 जनवरी को पूरा करके मैं शराबबंदी की मुहिम चलाऊंगी। वीडी शर्मा और शिवराज सिंह ने कहा है कि नशाबंदी और शराब बंदी जागरूकता अभियान से हो सकती है, लेकिन मेरा मानना है की शराबबंदी जागरूकता से नहीं लट्ठ से होगी।
उमा भारती ने प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर ऐलान कर दिया है कि मध्यप्रदेश में अगर सरकार ने शराबबंदी का ऐलान नहीं किया तो वह 15 जनवरी से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगी। शराबबंदी पर पहली बार बोली हैं उमा, ऐसर भी नहीं है। उमा भारती पिछले कुछ समय से शराब बंदी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और लगातार अपनी ही सरकार पर इस बात के लिए दबाव बना रही हैं कि प्रदेश में शराबबंदी की जाए। हालांकि उमा भारती की मांग उस समय जरूर तेज होती है जब उनकी राजनीतिक मंशाएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। उमा इससे पहले भी दूसरे मुद्दों पर पार्टी को इशारों-इशारों में निशाने पर ले चुकी हैं।
उमा इनदिनों चल रही हैं नाराज
इन दिनों उमा भारती अपनी ही पार्टी से थोड़ी खफा हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वह मध्यप्रदेश से अपने लिए सुरक्षित सीट चाह रही थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें आराम दे दिया। वह खामोश रह गई। बीच में एक दो बार सरकार विरोधी बयान दिए। लेकिन खामोशी ओढ़ ली। मध्यप्रदेश में एक बार फिर राज्यसभा सीट खाली हुई तो उमा को कुछ उम्मीद हुई, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर केंद्रीय राज्यमंत्री अल मरुगन को उम्मीदवार बना दिया। इधर, उम्मीदवारी का ऐलान हुआ और उधर उमा भारती का अपना ऐलान हुआ।
सत्ता में वापसी की छटपटाहट
उमा भारती मध्यप्रदेश में अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी चाहती हैं। वह पहले भी कई बार पार्टी के सामने स्पष्ट कर चुकी हैं कि मध्यप्रदेश में भाजपा की वापसी उनके कारण हुई थी। उनकी मेहनत के हिसाब से उन्हें तवज्जो नहीं मिली हैं। शिवराज के आने के बाद वह मध्यप्रदेश की राजनीति में नेपथ्य में चली गई हैं। यही वजह है कि वह उत्तर प्रदेश से आकर मध्यप्रदेश की खजुराहो और भोपाल सीट से लोकसभा चुनाव लडऩा चाहती थी। लेकिन पार्टी ने जब इनकार कर दिया तो उन्होंने चुनाव न लडऩे का ऐलान कर दिया। इसके बाद वह राज्यसभा में अपनी संभावनाएं देख रही थीं। लेकिन पार्टी ने उन्हें यहां पर भी दरकिनार कर दिया। हालांकि उमा भारती अपने समर्थकों की सक्रिय हिस्सेदारी की बात कई बार पार्टी फोरम पर कह चुकी हैं, लेकिन अभी उनके समर्थकों को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है। यह उमा की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण है।

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