स्वतंत्र सिंह भुल्लर मदरलैंड संवाददाता
दक्षिणी दिल्ली उच्च सांसद रमेश बिधूड़ी के नेतृत्व में दक्षिणी दिल्ली लोक सभा के 700 मन्दिर के पुजारी अपनी मांग को लेकर केजरीवाल निवास पर पहॅुंचे। उनकी मांग थी कि जब इमामो को वेतन दिया जाता है प्रतिमाह 18000 व 16000 रूपये, जो प्रतिवर्ष 59 करोड़ 4 लाख रूपये सरकार के मौलवियों के वेतन में जाते हैं। हिन्दू पुजारी मन्दिरों में पूजा पाठ करते हैं तो उनको वेतन क्यों नहीं? उनके साथ ये भेदभाव क्यों?
सांसद रमेश बिधूड़ी ने बताया कि एक तरफ केजरीवाल अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखते हैं कि ‘सब इंसान बराबर हैं चाहंे वो किसी भी धर्म या जाति के हों, हमे ऐसा भारत बनाना है जहां सभी धर्म व जाति के लोगों में भाईचारा और मोहब्बत हो, न कि नफरत और बैर हो’ और दूसरी तरफ भारत के संविधान में व्यवस्था है कि धर्म के आधार पर किसी को कोई रिजर्वेशन नही मिलेगी, जब धर्म के आधार पर मौलवियों को अगर तनख्वाह दी जाती है तो मन्दिरों में पुजारियों को, गुरूद्वारों में ग्रन्थियों को और चर्च के पादरियों को तनख्वाह क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल माइनोरिटी की बात करते हैं तो बोद्ध, सिख और पादरी भी माइनोरिटी में हैं और बहुसंख्यक समाज देश में रहता है तो उसको सैलरी क्यों नहीं? यह एक तरह से संविधान में अनुच्छेद 14 का और संविधान की मूल भाषा का सीधा-सीधा उल्लंघन है। बिधूड़ी ने कहा कि एक गिरगिट प्रवृत्ति से कार्य करने वाले केजरीवाल रंग बदलकर पिछले 7 सालों से दिल्ली की जनता को ठगते आऐं हैं और अब उत्तर प्रदेश, पंजाब व उत्तराखण्ड के निवासियों को भी इसी प्रकार लुभावनी घोषणाएं कर ठगने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी कथनी और करनी का खामियाजा दिल्ली की जनता भुगत रही है। उनकी भेदभाव की कार्यप्रणाली से राजनैतिक स्वार्थ साफ दिखाई देता है।