नई दिल्ली । अगली पीढ़ी के प्रोबायोटिक जीवाणु लैक्टोबैसिलस प्लांटेरम जेबीसी5 की पहचान की गई
नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. एली मेटचनिकॉफ के प्रस्ताव के बाद वैज्ञानिकों ने किण्वित डेयरी उत्पादों में स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ बैक्टीरिया की खोज की है। प्रोबायोटिक जीवाणु से बनी दही वयोवृद्ध आबादी को स्वस्थ बुढ़ापा को बढ़ावा दे सकती है और दीर्घ जीवन में सुधार कर सकती है। भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में डेयरी उत्पाद से अगली पीढ़ी के प्रोबायोटिक जीवाणु लैक्टोबैसिलस प्लांटेरम जेबीसी5 की पहचान की है, जो स्वस्थ बुढ़ापा देने में व्यापक आशा जगाती है। टीम ने इस प्रोबायोटिक जीवाणु का उपयोग कर दही भी विकसित की है, जिसका सेवन इन सभी स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
चिकित्सा विज्ञान में हालिया प्रगति ने जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की है और उम्र बढ़ने की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2050 तक हर 11 में से एक व्यक्ति 65 वर्ष से अधिक उम्र का होगा। हालांकि बुढ़ापा आमतौर पर उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के उच्च जोखिम से जुड़ा होता है, जैसे मोटापा, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (पार्किंसंस, अल्जाइमर), हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, ऑटोइम्यून रोग और सूजन आंत्र रोग आदि। इसलिए यह भारत जैसे अत्यधिक आबादी वाले देशों में चिंता पैदा करता है और स्वस्थ बुढ़ापा को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक तरीकों की आवश्यकता पर बल देता है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी), गुवाहाटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. एली मेटचनिकॉफ के प्रस्ताव के बाद किण्वित डेयरी उत्पादों में स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ बैक्टीरिया की खोज की।