स्वतंत्र सिंह भुल्लर, मदरलैंड संवाददाता
आदि गुरु शंकराचार्य के 2529 वी जयंती पर तालकटोरा स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में श्री जगद्गुरु शंकराचार्य पुरी ने आदि गुरु शंकराचार्य को भगवान शंकर का अवशेष बताते हुए उनके जन्मदिन पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सनातन धर्म में मानव जीवन की अलौकिक, लौकिक सभी समस्याओं का निदान है तथा एक साथ अलौकिक लौकिक एवं अध्यात्मिक तीनों सुखों का परम आनंद व्यक्ति कैसे प्राप्त कर सकता है इस निपुणता की चर्चा हमारे धर्म ग्रंथों एवं शास्त्रों में है। सनातन धर्म जीवन को सन्मार्ग पर चलते हुए सभी का आदर सम्मान एवं वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत है। इसलिए सनातन धर्म ही सर्व भौमिक है, अनादि है तथा विश्व के कल्याण का एकमात्र रास्ता है। इसलिए सनातन धर्म को जीवन में आत्मसात कर ही विश्व शांति, समृद्धि की कल्पना संभव है। शंकराचार्य ने कहा कि हमारे शास्त्रों में, धर्म ग्रंथों में हर समस्या का समाधान है चाहे अविष्कार हो, जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाने की क्षमता हो, आध्यात्मिक परमसुख को पाने का मूल मंत्र हो। उन्होंने न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में इस गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या एवं चर्चा पहले से है। सनातन धर्म जीना सिखाता है तथा जीवन को सहज सुलभ बनाना सिखाता है । ऐसी स्थिति में भारत के हिंदू राष्ट्र की कल्पना से ही विश्व का कल्याण संभव है, इसलिए भारत में हिंदू राष्ट्र की स्थापना सनातन धर्म के अनुरूप जीवन पद्धति का होना विश्व कल्याण के लिए अनिवार्य है। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में जिस तरह का वातावरण देश में बना है उसकी अभिव्यक्ति के रूप में इस कार्यक्रम को देखा जा सकता है । आदि गुरु शंकराचार्य के जन्मदिवस पर हिंदू राष्ट्र की वकालत तथा हिंदू राष्ट्र की घोषणा एक तरह से यह संकेत है कि निकट भविष्य में भारत को हिंदू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। तालकटोरा स्टेडियम राम नाम के जयघोष एवं भारत माता की जय से गूंज उठा तथा लोगों में एक अद्भुत जोश देखने को मिला। जहां शंकराचार्य एक तरह से लोगों का अपनी वाणी के द्वारा नेतृत्व कर रहे थे। हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में यह काफी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।