मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये जून की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और वृद्धि का संकेत दिया है। खुदरा महंगाई दर पिछले चार महीने से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। दास ने कहा, नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना है, इसमें बहुत कुछ सोचने वाली बात नहीं है। लेकिन यह वृद्धि कितनी होगी, मैं इस बारे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। यह कहना कि यह बढ़कर 5.15 प्रतिशत होगी, संभवत: बहुत सही नहीं है।’’ मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 6-8 जून को होगी।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने बिना किसी तय कार्यक्रम के इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की। चार साल में यह पहला मौका था जबकि रेपो दर में वृद्धि की गई। केंद्रीय बैंक ने अप्रैल महीने में मौद्रिक नीति समीक्षा में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर बढ़ते तनाव का हवाला देकर चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत किया। साथ ही 2022-23 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार ने मुद्रास्फीति को काबू करने के लिये नए सिरे से समन्वित कदम उठाने शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने पिछले दो-तीन महीनों में मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। दूसरी तरफ, सरकार ने गेहूं निर्यात पर पाबंदी तथा पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम उठाए हैं।
दास ने कहा कि इन सब उपायों से बढ़ती महंगाई को काबू में लाने में मदद मिलेगी। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। यह अभी इस दायरे से ऊपर है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई हैं, जो इससे पूर्व महीने में 6.95 प्रतिशत थी। जबकि अप्रैल 2021 में यह 4.21 प्रतिशत थी। गवर्नर ने कहा, ‘‘रूस और ब्राजील को छोड़कर लगभग हर देश में ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं। विकसित देशों में मुद्रास्फीति का लक्ष्य करीब दो प्रतिशत है। जापान और एक अन्य देश को छोड़कर सभी विकसित देशों में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।’’ राजकोषीय घाटे के संदर्भ में दास ने कहा कि सरकार लक्ष्य को हासिल कर सकती है। उन्होंने कहा कि कर्ज की सीमा को बढ़ाने की संभवत: जरूरत नहीं पड़ेगी। वित्त वर्ष 2022-23 के लिये राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।

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