नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद दक्षिण भारत से है। तमिलनाडु में एआईडीएमके के खिलाफ नाराजगी है, वहीं केरल की जनता लंबे वक्त से एक पार्टी को दोबारा सत्ता देने से परहेज करती रही है। पर इस बार कांग्रेस की राह आसान नहीं है। कांग्रेस को आंतरिक गुटबाजी के साथ कमजोर संगठन से भी जुझना पड़ सकता है। केरल में हर पांच साल के बाद सत्ता बदल जाती है। इस वक्त लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार में हैं। ऐसे में कांग्रेस की उम्मीद है कि मतदाता इस बार चुनाव में उसकी अगुआई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को वोट करेंगे। पर स्थानीय निकाय के चुनाव ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। स्थानीय निकाय चुनाव में एलडीएफ ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई
जबकि यूडीएफ इन चुनावों में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थानीय निकाय के चुनाव हमारे लिए सबक हैं। पार्टी को एकजुट होकर कड़ी मेहनत करनी होगी, तभी हम विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकते है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व में एलडीएफ सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं पर बहुत ध्यान दिया है। ऐसे में कांग्रेस का परंपरागत वोट एलडीएफ की तरफ शिफ्ट हुआ है। यूडीएफ के लिए यह चिंता का विषय है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 87 सीट पर चुनाव लड़कर सिर्फ 22 सीट जीती थी। ऐसे में सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस को जीत का आंकड़ा बढ़ाना होगा। इंडियन मुस्लिम लीग ने 23 सीट पर चुनाव लड़कर 18 सीट पर जीत दर्ज की थी।
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